Sunday 28 October 2018

माइक्रोफोन के प्रकार और विवरण 【क्रिस्टल माइक्रोफ़ोन】भाग :- (ख)

अभी तक हमने जाना कि माइक्रोफोन के क्या कार्य है। तरह तरह के माइक्रोफोन होते है जिनकी विशेषता और कीमत अलग-अलग होती है।माइक्रोफोन एक प्रकार का ट्रांसड्यूसर है जो ध्वनि तरंगों को वायुमंडल से ग्रहण कर उसकी तरंगों को बदलता है। अभी हमने भाग (क़) में दो तरह के माइक्रोफोन के बारे में जानकारी प्राप्त की है। वह है 1.मूविंग कॉइल माइक्रोफोन 2.रिबन माइक्रोफोन


अब हम अन्य माइक्रोफोन के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे। जिनमे मुख्य रूप में निम्नलिखित है। 
3क्रिस्टल माइक्रोफोन:- 
4. कैपेसिटर माइक्रोफोन 
5. इलेक्ट्रॉट माइक्रोफोन 
6. कार्बन माइक्रोफोन 
7. विशिष्ट माइक्रोफोन



3. क्रिस्टल माइक्रोफोन:-क्रिस्टल माइक्रोफोन पिज़ो इलेक्ट्रिक प्रभाव में काम करता हैं। क्रिस्टल माइक्रोफोन अपने ट्रांसड्यूसर के रूप में एक piezoelectric क्रिस्टल का उपयोग करता है। पिइज़ोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल टिकाऊ और सस्ते होते हैं, और उनके पास अपेक्षाकृत बड़े विद्युत उत्पादन होते हैं; इस कारण से, वे अक्सर टेलीफोन और पोर्टेबल ध्वनि प्रणालियों में उपयोग किया जाता है। ध्वनि तरंगों को विधुत सिगनल में बदलने की ताकत क्रिस्टल माइक्रोफ़ोन में  पिज़ो इलेक्ट्रिक प्रभाव के वजह से ही होती है।
◆ नोट :-【 पिज़ो इलेक्ट्रिक प्रभाव क्या है ?】
◆उत्तर:-【 जब क्रिस्टल पर यांत्रिक प्रेशर पड़ता है तो क्रिस्टल के विपरीत तलो के मध्य विधुत विभव उतपन्न होता हैं।】
क्वासर्ट्ज़, रोशेल साल्ट (Rochelle salt) ( पोटासियम सोडियम ट्राटेट) टूरमैलीन और सिरेमिक के बने क्रिसटल इस तरह के प्रभाव दर्शाते है  क्वार्ट्ज़ और टूरमैलीन {tourmaline} का आउटपुट कम होता है
◆रिचेली साल्ट (Rochelle salt) (पोटासियम सोडियम ट्राटेट) :-यह एक पिज़ो इलेक्ट्रिक क्रिस्टल है। नमी से जल्द प्रवाभित होता है। यह 50℃ से ज्यादा के तापमान को सहन नही कर पाता है। 
◆सिरेमिक से बने क्रिस्टल सबसे उपयुक्त होते है 100℃ तापमान में भी प्रभावित नही होते हैं। नमी में भी अच्छा कार्य करते हैं आउटपुट भी बेहतरीन है।
यह रिबन माइक्रोफ़ोन से ज्यादा ठोस होते है लेकिन मुविंग कॉइल माइक्रोफ़ोन से कम मज़बूत है।
◆सिरेमिक (चीनी मिट्टी) या क्रिस्टल माइक्रोफोन सस्ते और निर्माण करने के लिए आसान हैं और एक उच्च वोल्टेज उत्पादन प्रदान करने में सक्षम हैं।
कार्यप्रणाली
ध्वनि तरंगों में जब स्ट्रेस(दबाब) उत्पन्न होता है। तब सिरेमिक या अन्य धातु का बना क्रिस्टल पर दाब बढ़ जाता है। जिससे क्रिस्टल दब जाता है। इससे विपरीत विरलता होने से क्रिस्टल पर दाब काम हो जाता है। और क्रिस्टल में तनाव पैदा हो जाता है। जिससे क्रिस्टल फैल जाती है। इसप्रकार क्रिस्टल में एक्सटेंशन और यांत्रिक कंप्रेसन होता है। इसलिए क्रिस्टल माइक्रोफ़ोन को प्रेशर माइक्रोफ़ोन भी कहते है।
बनावट

उपरोक्त तत्व से बना क्रिस्टल को दो परतों में बाँटते है जो बहुत ही पतली होती हैं। इन्हें एक कुचालक होल्डर में रखा जाता हैं। क्रिस्टल की इन पतली परतों की बीच हवा के लिए जगह रहता है। अधिक विधुत विभव प्राप्त करने के लिए इसतरह के अनेक तत्त्वों को जोड़ते है।एक अल्युमिनियम का डायफ्राम लेते है और इस डायफ्राम को क्रिस्टल से पुश-रॉड से जोड़ देते है।

महत्वपूर्ण तथ्य
1. सुग्राहिता :- पास्कल प्रेसर आउटपुट :- 500 मिलीवोल्ट और माइक्रोबार प्रेशर ऑउट पुट:- 50 मिलीवोल्ट
2.फ्रीक्वेंसी रिस्पांस :- 100- 8000 फ्लेट +/- 2db
3. आउटपुट अवरोध :- 1 MOhm
नोट:-
1. यह मल्टी माइक्रोफ़ोन सिस्टम में कार्य नही कर सकता है।
2. यह ओमनी डायरेक्शनल माइक्रोफ़ोन है। ध्वनि आवृत्ति बदलने से भी इसका दिशा लाभ नही बदलती हैं।
3. इसे DC वोल्टेज की आवश्यकता नहीं है।
4. इसकी कीमत कम होती हैं।
5 प्रकाश की किरणो में अधिक समय तक रहने पर आउटपुट पर उल्टा प्रभाव पड़ता है।
6. इसे एम्पलीफायर से ज़ोड़ने के लिए छोटे लिड्स का उपयोग किया जाता हैं क्योंकि इसका इम्पीडेन्स अत्यधिक होती हैं।

Tuesday 23 October 2018

◆◆ माइक्रोफोन के प्रकार और विवरण भाग :-(क)

माइक्रोफ़ोन एक प्रकार का ट्रांसड्यूसर का काम करता है जो तरंगो को बदलता है। यानी यह सबसे पहले आवाज़ का पता लगता है कि आवाज़ की सोर्स को खोजता है और पहचानता है फिर ये विधुत सिग्नल को कंप्यूटर तक पहुँचाता है। इसके बाद कम्प्यूटर में लगे कुछ हार्डवेयर यंत्र इस एनालॉग डेटा को डिजिटल डेटा में परिवर्तन कर देता है।
जब हम कुछ बोलते है तो हमारी आवाज़ यानी ध्वनि तरंग एक ऊर्जा में बदल जाती है। फिर वह ऊर्जा माइक्रोफ़ोन में लगे एक छोटे से डायफ्राम से टकराती है। जो प्लास्टिक की बनी होती है। टकराने से यह डायफ्राम हिलने लगती है। और कम्पन्न पैदा होती है। 
डायफ्राम से एक कॉइल जुड़ा रहता है जब डायफ्राम हिलती है तो उससे लगे कॉइल भी हिलने लगती है। इसके बाद माइक्रोफोन में लगी एक स्थाई चुम्बक ( Permanent magnet ) एक चुम्बकीय क्षेत्र बनती है जो coil से होकर जाती है. अतः जब coil आगे पीछे घूम रही हो और उस वक़्त वो चुम्बकीय क्षेत्र में आ जाते तो इससे एक विधुत करंट का निर्माण होता है और वो करंट coil से  होकर प्रवाहित होने लगता है।
 अंत मे यह करंट माइक्रोफोन में लगे एक एम्पलीफायर या साउंड रिकॉर्डिंग डिवाइस से बहता हुआ बाहर निकलता है. तो इस तरह से हमारी आवाज़ एनालॉग डाटा से डिजिटल में परिवर्तित होती है।
◆◆ माइक्रोफ़ोन कई प्रकार के होते है।
A. मूविंग कॉइल माइक्रोफ़ोन

यह माइक्रोफ़ोन विधुत-चुम्बकीय प्रेरण (इंडक्शन) के सिद्धांत पर कार्य करता है। 
मूविंग कॉइल डायफ्राम में निम्नलिखित पार्ट रहते है।
1. चुम्बक 
2. कॉइल
3. डायफ्राम( पर्दा)
मूविंग कॉइल माइक्रोफोन में तार का एक कॉइल स्थाई चुम्बक क्षेत्र में रखा जाता है जो एक डायफ्रॉम से जुड़ा रहता है। जब ध्वनि तरंग डायफ्रॉम से टकराती है तो डायफ्रॉम हिलता है इसके साथ लगा डायफ्रॉम भी हिलता डुलता है इससे उसमें पास होने वाला चुंबकीय घनत्व में बदलाव आने लगती हैं।और विद्युत् विभव पैदा होती हैं। यही विद्युत् विभव मूल ध्वनि का प्रतिरूप है।
B. रिबन माइक्रोफोन

मूविंग कॉइल माइक्रोफ़ोन की फ्रीक्वेंसी अत्यंत कम रहती हैं क्योंकि इसका कॉइल डायफ्राम यूनिट भारी होती है। इसी कमी को हटाने के लिए रिबन माइक्रोफ़ोन को विकसित किया गया। इसमे कम वज़न का अलुमिनियम रिबन का प्रयोग किया गया है, यही कॉइल का काम करती है। इसमे अलग से डायफ्राम नही होता है।

रिबन:- यह एक हल्की अल्युमिनियम की बनी होती है। इसकी वज़न 0.2 मिलीग्राम, मोटाई 1 माइक्रोन    (10`6 m) , लंबाई 20 मिलीमीटर और विड्थ 3 मिलीमीटर होती है। इस रिबन कि सतह लंबाई में कोरियुगेटेड होती है । उसके बाद पूरे एसेंबल को एक पेटिका(case) में रखा जाता हैं जिसका आकार एक चुम्बक की तरह होता है।
रिबन माइक्रोफोन इस तरह काम करता हैं जब ध्वनि तरंगे जब इससे टकराती है तो इसके चुम्बकीय क्षेत्र में तरंगे पैदा करके इसके चुम्बकीय इडक्सन में विभव उत्पन्न होती हैं ।रिबन दोनों तरफ से खुले होने के कारण इसकी गति प्रेशर ग्रेडिएंट पर निर्भर करती हैं जिस कारण इसे प्रेशर ग्रेडिएंट माइक्रोफोन भी कहा जाता हैं। जितना अधिक प्रेशर ग्रेडिएंट होगा उतनी ही अधिक रिबन की वेलोसिटी होगी,इसलिए इसका एक नाम वेलोसिटी माइक्रोफोन भी कहा जाता हैं रिबन का भार कम होने से इसके सिग्नल पर प्रभाव नहीं पड़ता है तथा 12,000 Hz तक का फ्लैट रिस्पोंस देता है जिसके कारण निम्न आवृति में 20 Hz तक का सिग्नल प्राप्त होता है।

Saturday 20 October 2018

◆◆ माइक्रोफोन ◆◆

माइक्रोफोन


माइक्रोफोन एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो आवाज़ को डिजिटल डाटा में बदलता है. इसे माइक भी कहा जाता है. ये कंप्यूटर में एक इनपुट डिवाइस की तरह इस्तेमाल होता है. इसकी सहयोग से हम अपने कंप्यूटर में ऑडियो डेटा को एंट्री करते हैं।  साथ ही इसकी सहायता से अपने कंप्यूटर में टाइप भी कर सकते हो क्योकि इसमें एक ऐसा यंत्र लगा रहता है जो आवाज़ को पहचानता है और उसी के आधार पर टाइप करता है. इसके लिए अपने माइक्रोफोन को अपने कंप्यूटर के साथ जोड़ना होता है और फिर माइक में जो हम टाइप करना चाहते हो उसे बोलना होता है. इस तरह से टाइप करने से यह समय बचाता है. माइक्रोफोन को कंप्यूटर के साथ जोड़ने के लिए  कंप्यूटर में एक पोर्ट दिया होता है, साथ ही इसको कंप्यूटर में इस्तेमाल करने के लिए कंप्यूटर में साउंड कार्ड का इनस्टॉल होना भी आवश्यक है.
ध्वनि कैसे सुनाई पड़ती है।
एक प्रकार की ऊर्जा को अन्य ऊर्जा में बदलने की प्रकिया को ट्रांसड्यूसर कहाँ जाता है। किसी भी स्त्रोत से उत्पन्न ध्वनि एक लाउन्ज़ीटुडनल तरंग होती है जो Air अथार्त वायु में एक निश्चित क्रम में दबाब और विरलता उत्पन्न करती है। जब यह तरंग कान के पर्दे पर जाती है तो विधुत सिग्नल में बदल जाती है। कान से मष्तिष्क में जाने वाली तंत्रिका (ज्ञान-तंत्रिका) इस सिग्नल को दिमाग तक ले जाती है। दिमाग इस सिग्नल को साउंड के रूप में पहचान लेता है, और हमे वास्तविक ध्वनि का अनुभव होता है।

ध्वनि तरंगो में  क्या होता है?                        ध्वनि तरगो  में Frequency(आवृति),Amplitude(अम्प्लीट्यूड),Velocity(वेग),wavelength(वेबलेंग्थ) तथा Phage(फेज) सभी होते हैं।
सन 1876 ई. मे, एमिली बर्लिनर ने माइक्रोफोन का आविष्कार किया था।
ट्रांसड्यूसर (Transducer)
माइक्रोफोन में अहम कार्य ट्रांसड्यूसर (Transducer) का होता है। जो एक प्रकार की ऊर्जा को दूसरे प्रकार की ऊर्जा में परिवर्तित करती है। अथार्त यह वह युक्ति है जो ऊर्जा के एक रूप को दूसरे रूप में बदलती है।
अलग अलग उपकरण में अलग अलग ट्रांसड्यूसर उनके कार्य के अनुरूप लगे रहते है। जैसे
माइक्रोफोन:- यह ध्वनि तरंगों को विधुत तरंगो में परिवर्तित करती है।
स्पीकर:- यह विधुत तरंगो को ध्वनि तरंगों में परिवर्तित करती है।

माइक्रोफोन के प्रकार
1. मुविंग कॉइल माइक्रोफोन
2. रिबन माइक्रोफोन
3. क्रिस्टल माइक्रोफोन 
4. कैपेसिटर माइक्रोफोन 
5. इलेक्ट्रॉट माइक्रोफोन 
6. कार्बन माइक्रोफोन 
7. विशिष्ट माइक्रोफोन

Saturday 13 October 2018

◆ कंप्यूटर में बिज़ली सप्लाई क्या होता है? SMPS का क्या अर्थ है?

SMPS क्या है इसका क्या अर्थ है ?
◆◆कंप्यूटर में पावर सप्लाई कैसे होता है, हमारे घर मे पावर सप्लाई से अलग कैसे होता है। कप्यूटर में पावर सप्लाई एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के द्वारा होता है। जिसे SMPS अथार्त switch mode power supply कहते है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट से लैस रहता है।
सभी इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण 220 से 240 की वोल्टेज पर काम करते हैं, अगर कंप्यूटर की बात की जाए तो अगर सीधे कंप्यूटर बोर्ड को 240 वोल्टेज की बिजली सप्लाई दे दी जाए तो वह जल जाएगा और उसका बोर्ड खराब हो जाएगा |
कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाले SMPS की बात करें तो वह अलग अलग वोल्टेज हमारे मदर-बोर्ड को पहुँचाने का कार्य करता है, जैसे की रेम (RAM) को अलग वोल्टेज देना प्रोसेसर को अलग वोल्टेज देना और जो कंप्यूटर के अंदर जो पंखा इस्तेमाल होता है उसको अलग वोल्टेज देना।

SMPS जिसे हम Power Supply भी कहते है का मतलब है Switched-Mode Power Supply एक बेसिक कॉम्पोनेन्ट जाती है  कंप्यूटर में Power Cable तो जरूर लगाईं होगी, SMPS हमारे कंप्यूटर में Power supply करने का काम करता है हमारे घर में Current हमेशा AC (Alternate Current) फॉर्म में होता है लेकिन हमारे कंप्यूटर के कंपोनेंट्स को यानी Digital device को चलने के लिए हमेशा Direct Current यानी DC की जरूरत होती है इसीलिए हमें SMPS की जरूरत पड़ती है SMPS हमारे घर के Alternate Current को Direct Current में परिवर्तित करके एक समान voltage को हमारे कंप्यूटर के बाकी कंपोनेंट्स के पास मदरबोर्ड के जरिए भेेेजता है।
SMPS एक तरह का Electronic circuit  है जो नार्मल AC करंट को lower DC में कन्वर्ट करता है। बाज़ार में अलग-अलग क्षमता के Devices के लिए अलग-अलग क्षमता के पॉवर सप्लाई भी उपलब्ध है SMPS की क्षमता को सामान्यतः watts में मापा जाता है। Total Amperes और volts का गुणा करके निकाला जाता है। एक नार्मल SMPS के बात करें तो 350 watts से 400 watts तक रहता है।
◆◆ SMPS के प्रकार
1.DC से DC कनवर्टर
2. फोरवर्डेड कनवर्टर
3. फ्लाइबैक कनवर्टर
4. सेल्फ ऑक्सिलटिंग फ्लाईबेक कन्ववर्टर

Monday 8 October 2018

पता करे आपके ह्रदय के रक्तचाप क्या होना चाहिए

◆ ह्रदय के प्रत्येक धड़कन के समय जो अधिकतम दबाब (प्रेशर) होता है उसे 'सिस्टोलिक प्रेशर' कहते है। जिसमे ह्रदय के निचले भाग के कक्ष में संकुचन होता है। दो धड़कनो के मध्य काल का जो समय होता है। ,उस वक्त जो कम से कम जो दबाब होता है। उसे " डायस्टोलिक प्रेशर " कहते है। इन दोनों के संतुलित दबाब को " ब्लड प्रैशर " कहते है।

◆ आमतौर पर शिशु का रक्तचाप:- 80/50 mm.mercury

◆ युवकों का रक्तचाप:- 120/80 mm. mercury

◆ प्रौढ़ यानी बूढ़ो का रक्तचाप:- 140/90 mm.mercury

होना सामान्य स्थिति है।

■■ इसमे पहली बड़ी संख्या :- सिस्टोलिक और दूसरी छोटी संख्या डायस्टोलिक प्रेशर की सूचक है।

◆◆ सामान्य फार्मूला है कि अपनी आयु के वर्षों में 90 जोड़ लीजिए।

उच्च रक्तचाप के कारण

(क) शारीरिक कारण

1.रक्त वाहिनी शिराओं का मार्ग संकरी हो जाने से या कठोर होने से

2, किडनी में कोई विकार या कोई व्याधि हो जाने से।

3. लिवर के माध्यम से होने वाले रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने से पोर्टल वेन में दबाब उत्पन्न होने के कारण।

■■ रक्त में कोलेसट्रोल नामक तत्व की मात्रा बढ़ जाने से अथार्त सामान्य स्तर से ज्यादा हो जाने से या शरीर मे चर्बी ज्यादा बढ़ने से , मोटापा बढ़ने से, पैतृक प्रभाव से, वृद्धावस्था के कारण आई निर्बलता से, गुर्दे या जिगर की खराबी आदि कारणों से उच्च रक्त चाप होने की स्थिति बनती है।

(ख) मानसिक कारण :- मनुष्य का मन अति सवेंदनशील होता है , उस पर जो व्यक्ति स्वभाव से भाबुक होते है,ऐसे में उनको कोई चिंता ,शोक, क्रोध, ईर्ष्या,या भय का मानसिक चोट पहुँचे तो उनके दिलों की धड़कन बढ़ जाती है।, स्नायविक तंत्र तनाव से भर उठता है। अतः इस प्रकार के अनेकों मानसिक वेगों से बचना आवश्यक है।


Saturday 6 October 2018

National Career service job search portal नेशनल कैरियर सर्विस एक जॉब पोर्टल

◆◆ एकीकृत राष्ट्रीय कैरियर पोर्टल जहाँ जॉब से से संबंधित सभी समस्याओं का निष्पादन हो सकता है।◆◆


◆◆नेशनल कैरियर सर्विस (एनसीएस) पोर्टल पर एक करियर सेंटर प्रोफाइल विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक विकास सेवाएं और कार्यक्रम नौकरी खोजने वालों को प्रदान करता है ताकि वे अपनी रुचियों का पता लगा सकें, अवसरों के पथ खोज सकें और खुद को विभिन्न पेशेवर बातचीत के लिए तैयार कर सकें। एनसीएस पोर्टल पर एक करियर सेंटर जॉब खोजने को एक प्रभावी कर्मचारी और आजीवन शिक्षार्थियों बनने का समर्थन करता है। एक करियर केंद्र पोर्टल उपयोगकर्ताओं को उनके व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ पेशेवर विकास के साथ सहायता करता है। एक करियर केंद्र उपयोगकर्ताओं को एनसीएस पोर्टल पर सेवाओं का विस्तृत स्पेक्ट्रम प्रदान करता है चाहे वे छात्र, ताजा स्नातक हों या पूर्व छात्र हों। यह पोर्टल उपयोगकर्ताओं के लिए स्वयं को योग्य करने के लिए विभिन्न प्रकार के समूह कार्यशालाएं भी प्रदान करता है।
◆◆ करियर केंद्र मॉड्यूल में निम्न कार्यक्षमता शामिल है। 
एप्लिकेशन तक पहुंचें।
 ◆भाषा बदलें 
◆ आवेदन का लॉगआउट 
◆ करियर केंद्र प्रोफ़ाइल देखें / अपडेट करें 
नौकरी सर्च, नियोक्ता, स्थानीय सेवाएं  सर्च उम्मीदवार Local स्थानीय सेवाओं पर प्रतिक्रिया  उपयोगकर्ता प्रबंधन  घोषणाएं , शिकायत , मामले ,पासवर्ड बदलें Job नौकरी मेले तक पहुंच , रिपोर्ट ,दस्तावेज़ , डैशबोर्ड रिपोर्ट
 2. प्रारंभ करना 2.1 एप्लिकेशन तक पहुंचें एनसीएस पोर्टल तक पहुंचने के लिए, अपने पता बार में निम्न वेबसाइट पता या वर्दी संसाधन लोकेटर (यूआरएल) टाइप करें
◆ इंटरनेट ब्राउज़र: http://www.ncs.gov.in/। एनसीएस पोर्टल प्रदर्शित का होम पेज पर जाएं।
◆◆एप्लिकेशन में लॉग इन करें कैरियर सेंटर उपयोगकर्ता के रूप में आप अपने वैध लॉगिन प्रमाण-पत्रों का उपयोग करके एनसीएस पोर्टल में लॉग इन कर सकते हैं। 
पोर्टल के पृष्ठ के लॉगिन अनुभाग पर दिए गए फ़ील्ड में अपना 1.उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड दर्ज करें। 
2.अपना यूजर नेम पासवर्ड साइन इन बटन दर्ज करें दर्ज करें। यह करियर सेंटर होम स्क्रीन प्रदर्शित करता है। 
इस पोर्टल पर जॉब खोजने वाले , जॉब देने वाले कंपनी, या स्किल डेवलप्ड इंस्टीट्यूट , ऑनलाइन या अन्य सर्विसेज प्रदान करने वाले भी रजिस्टर्ड अपने को कर सकते है।

Friday 5 October 2018

◆◆ प्रोसेसर का क्या काम है? कंप्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में





प्रॉसेसर कंप्यूटर में एक माइक्रोचिप होता है जो मदरबोर्ड में लगा होता है। कंप्यूटर से लगे सभी पार्ट्स को एक सुरक्षित और समुचित क्रम में व्यवस्था करती हैं।यह डाटा को लेकर काफी कम समय मे प्रोसेस कर हमें आऊटपुट के रूप में प्रदर्शित करता है। जिसके कारण यह बहुत कम वक़्त में गर्म हो जाती हैं।इसलिए इसके गर्मी को निकालने के लिए एक हीट सिंक और फैन इसके ऊपर लगाया जाता है।
◆◆स्मार्टफोन लेते समय सबसे पहले आप उसकी स्पेसिफिकेशन्स के बारे में ही जानना चाहते हैं। इन स्पेसिफिकेशन्स में प्रोसेसर का अच्छा होना सभी जरुरी मानते और चाहते हैं। आप जो फोन लेने वाले हैं उसका प्रोसेसर लेटेस्ट हो तो वो अच्छा है, ऐसा अधिकतर लोग मान लेते हैं।  
◆◆ प्रोसेसर को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता हैं। क्योंकि कंप्यूटर के अंदर होने वाली सभी प्रकार के गतिविधियों का नियंत्रण यही करती हैं।
"◆◆ आकार :-
यह दिखने में चोकोर आकार की होती हैं। इसमे कई short,मेटालिक कनेक्शन नीचे की ओर निकले होते है। इसे cpu के सॉकेट में लगाया जाता हैं। एक माइक्रोप्रोसेसर एक कंप्यूटर प्रोसेसर है जो  एक एकल एकीकृत सर्किट (आईसी), है  इसमें ज्यादा से ज्यादा कुछ एकीकृत सर्किट पर एक कंप्यूटर की सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) के कार्यों को शामिल किया गया है।
◆माइक्रोप्रोसेसर एक बहुउद्देशीय, प्रोग्राम डिवाइस है जो कि, इनपुट के रूप में डिजिटल डेटा स्वीकार अपनी स्मृति में संग्रहीत निर्देशों के अनुसार यह प्रक्रिया, और उत्पादन के रूप में परिणाम प्रदान करता है।
CPU के मुख्य घटक:
1. ALU – अंकगणितीय तर्क इकाई (Arithmetic Logic Unit)
2. प्रोसेसर रजिस्टर
3. नियन्त्रण इकाई ( Control Unit)
◆◆ CPU के कार्य:-
प्रोसेसर इनपुट उपकरणों से डाटा ग्रहण करता है और उसे समुचित व्यवस्था में करने के बाद आउटपुट उपकरणों में प्रदर्शित करता है। इन तीनो कार्य करने के लिए इसे कुछ key पार्ट्स का उपयोग करना पड़ता है। जो निम्न है
ALU (ऐर्थमेटिक लॉजिक यूनिट):- यह गुणा और भाग की कार्य सम्पन्न करता है।इसके अतिरिक्त यह कुछ लॉजिक कार्य भी सम्पन्न करता है। जैसे AND, NOT और OR 
◆◆ प्रोसेसर की कार्य करने की गति को हर्ट्ज में मापते है।जितना ज्यादा कोर का प्रोसेसर होगा वह उतना अत्यधिक क्षमता का प्रोसेसर हर्ट्ज का होगा।
1. DUAL CORE PROCESSOR
2 QUAD CORE PROCESSOR
3. HEXA CORE PROCESSOR
4.OCTA CORE PROCESSOR
5. DECA CORE PROCESSOR
◆◆ प्रोसेसर बनाने वाली कंपनियों का नाम
1.INTEL
2.AMD
3. IBM
4.INVIDIA
5.MOTOROLA
6.QUALCOMM
7. SAMSUNG
8. Hewlett-Packard (HP)
इसमें INTEL, AMD का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता हैं। इसमे INTEL ने ही विश्व मे पहला माइक्रोप्रोसेसर का आविष्कार किया था।

WDG4 DIESEL LOCO POWER DISTRIBUTION

 इंजन स्टार्ट होते ही मेन बैंक सापट के गियर से चाल लेकर Auxiliary जनरेटर का आमेचर घूमना शुरू कर देता है जो स्वंय के बनाये गये करन्ट से इसकी ...