Tuesday 10 April 2018

विमल राय -एक असामान्य प्रतिभा

विमल राय
भारतीय सिनेमा को उत्कृष्ट ऊँचाई पर ले जाने वाले कड़ीयो में से एक अहम भूमिका निभाने वाले बिमल रॉय का जन्म 12 जुलाई, 1909 में बांग्ला देश के ढाँका जिले में एक जमींदार परिवार ने हुआ था।  विमल रॉय शरत साहित्य में विशेष रूचि थीं। इन्होंने न्यू थिएटर में अपने कैरियर की शुरुआत की थीं। यहाँ इन्हें शरत चंद्र की 'देवदास' बड़ी दीदी, और अन्य रचनाओं को छायाकिंत करने का अवसर मिला।कोलकाता में न्यू थिएटर के बाद ये बम्बई चले गये और शरत चन्द्र की तीन कथाओं पर फ़िल्म का निर्माण करना शुरू किया । 1953 में "परिणीता" जो अशोक कुमार के प्रोडक्शन के लिए थी 1954 में "बिराज बहु" जो हितेन चौधरी प्रोडक्शन के लिए बनी जिनका फिल्माकंन बिमल रॉय ने ही किया था। 1955 में इन्होंने " देवदास" का फिल्माकंन अपने ही बैनर के तहत किया था।   इन्होंने "विराज बहु" फ़िल्म में फिल्माकंन किया था। विमल रॉय द्वारा रचित तीनों फिल्मों अपनी अलग अहमियत रखती हैं।अशोक कुमार ने अशोक कुमार प्रोडक्शन के अंतर्गत विमल रॉय के निर्देशन में " परिणीता " बनाई थी । जिसमे अशोक कुमार ,मीना कुमारी और अमित बरन ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
" दो बीघा जमीन " औऱ "परिणीता " बर्ष 1953 में प्रदशित हुई थी। विमल रॉय एक साथ दो विपरीत ध्रुवो पर फिल्माकंन किया और दोंनो को असीम ऊँचाई पर ले गये है।शरत की रचनायें में विमल रॉय ने जिस तलनिनता और अनछुए पहलुओं को लेकर कलात्मक अभिरुचि को विशेष गरिमा में ले जाने वाले में से एक थे।
" परिणीता" में विमल रॉय ने बंगाल के सादी परिवारिक जीवन की सुगंधित खुशबू से एक परिवार की योग्यता और सार्वभौमिकता को आनन्द से फ़लीभूत किया। " परिणीता " में अशोक कुमार और मीना कुमारी की जोड़ी एक अनिवर्चरनिय है। जब किसी भी भाषाओं में शब्द  सीमाओं में घिरकर असहाय और विवश हो जाता है वहाँ पर विमल रॉय ठहर कर तन्मयता से फ़िल्म का अनुसंधान करते है। यह इसलिए भी है कि किसी भी भाषाओं के शब्द का सम्मान करने वाला उनसे बढ़कर कोई फिल्मकार सिनेमा जगत में नही हुआ। मुख्य धारा में रहकर भी विमल रॉय ने सिनेमा जगत की कलात्मक ऊँचाई को बरकरार रखा।
सिनेमा जगत में इनका प्रवेश कैमरा मैन के रूप में न्यू थिएटर प्राइवेट लिमिटेड से हुई थी। इन्होने इस प्रोडक्शन के तहत 10 से ज्यादा फिल्मो का छायाकंन किया। इस समय इन्होने पी.सी बरुआ की फिल्म देवदास और मुक्ति के लिये क्रमशः 1935 और 1937 में छायाकंन किया था लेकिन निर्देशक के तौर पर इनकी पहली फिल्म उदयेर पाथे थी जो सामाजिक कुरीतियों पर आधारित थी। इस फिल्म में इन्होने सिनेमा जगत में कामयाबी की बुलंदियों को पा लिया था। इसके बाद हमराही बंगला फिल्म का हिंदी संस्करण बनाया उतरोतर इन्होने तीन  हिंदी फिल्म अन्जनगढ़ (1948),मंत्रमुग्ध(1949) और पहला आदमी (1950) को निर्देशित किया। साहित्य से इनका गहरा लगाव था विमल राय ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी विमल राय प्रोडक्शन की स्थापना किया और 1953 में पहली फिल्म दो बीघा ज़मीन का निर्माण किया। इसकी कहानी सलील दा ने लिखी थी। इस फिल्म ने विमल राय को अंतराष्ट्रीय ख्याति प्रदान की जिसमे बलराज साहनी ने एकदम जीवंत भूमिका निभायी थी। इस फिल्म के लिए विमल राय को सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पहला फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया। 1960 में विमल राय ने परख नाम की फिल्म साधना को लेकर बनायीं 1962 में प्रेम पत्र का निर्देशन किया।
विमल दा सर्वाधिक यादगार फिल्म बंदनी 1963 में हत्या के आरोप में बंदी एक महिला की कहानी है, जिसमे नूतन ने शानदार भूमिका निभायी थी। विमल राय ने सात बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता था।

  1. इस तरह इन्होने हिंदी सिनेमा को ऊंचाईयों की सर्वश्रेष्ठ सीमा तक पहुचायां।nextgyan

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