Saturday 30 December 2017

TITNUS:-(टिटनस)

धनुष्टंकार(टिटनस)
धनुष्टंकार(Tetanus) में शरीर ऐठकर धनुष के समान टेढ़ा हो जाता है, रह-रहकर आझेप आते हैं, मांशपेशियों में संकुचन और अकड़न आ जाती है। रोग का आक्रमण हो जाने पर दो दिन से दस दिन के अंदर रोगी का जीवन समाप्त हो सकता है।बहुत कम रोगी ही इस जानलेवा संक्रमण से बच पाते हैं।टिटनस हो जाने पर बचाव मुश्किल हो जाता है, इसलिए पहले ही सुरक्षातःमक उपाय करना चाहिए।।                                                                                                                                  
कारण:- 'क्लास्ट्रीडियम टिटेनि'नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से यह रोग होता है।ये जीवाणु जानवरों और उनके मल मे, धूल में तथा गंदे स्थानो में निवास करते है तथा उबालने पर भी नष्ट नही होते।जंग लगे लोहे आदि से चोट लगने पर, गोबर वाले स्थान पर या रास्ते आदि में चोट लगने पर इसका संक्रमण होने की संभावना रहती है।ये जीवाणु घाव या हल्के चोट के स्थान से भी शरीर मे प्रवेश कर जाते हैं।
लक्षण:-
(१).रोग धीरे-धीरे शरीर पर अधिकार जमाता है।जबड़े भिंच जाते है,गर्दन अकड़ जाती है,मुँह खोलने में कठिनाई होती है।
(२).कोई वस्तु खाने-पीने, निगलने में कष्ट होता है।
(३).पीठ में अकड़न, वह पीछे की ओर धनुषाकार मुड़ जाती है , ऐंठनका दौरा पड़ने लगता है।पेट बहुत कड़ा पड़ जाता है।
(४).चेतना रहती है,बेहोशी नही आती।
(५).भौह और मुँह का सिरा बाहर की ओर खींच जाता है,जिससे चेहरा विद्रूप से लगता है।
(६).दौरे के पड़ने का क्रम चालू हो जाता हैं।रोग की तिव्रवस्था में दो दौरौ के बीच का समय कम होता जाता है।पेशियों में कड़ापन आ जाता हैं।
(७).रोगी को छूने,हिलाने- डुलाने से या शोरगुल से आक्षेप का दौरा पड़ जाता है।
(८).आँखे ऊपर चढ़ जाती है।हालत बिगड़ने पर दौरे जल्दी- जल्दी पड़ने लग जाते हैं।
(९).निमोनिया से,अत्यधिक ज्वर से या ह्रदयाघात से ४-५ दिनों में मृत्यु हो सकती है।
     धनुष्टंकार के लक्षण मस्तिष्कज्वर और रेबीज के लक्षण से भी मिलते -जुलते है।
उपचार:-
(१).कही भी चोट - चपेट लग जाने पर घाव को हाइड्रोजन पराक्साइड या डेटॉल आदि से धो देना चाहिए और तुरंत टिटनेस का इंजेक्शन लगवा लेना चाहिए।
(२).शीतल , शांत , अंधेरे कमरे मे रोगी को रखना चाहिये।समय नष्ट न करके , योग्य चिकित्सक की देख - रेख में यथाशीघ्र उपचार प्रारम्भ कर देना चाहिये।

Forever Healthy life living Tips


सर्वदा स्वस्थ् रहने के उपाय
१. सुुबह ब्रह्ममुहूर्त मे उठे,यह समय सूयोर्दय सेे लगभग ४८ मिनट पहले होता हैं। २. सुुबह बासी मुहँ भरपेट जल पीने की आदत डाले, इसे उष: पान कहते हैं।जल हरदम बैठ कर पिये। ३. सुबह नित्य कर्म से निर्वित होकर मैदान में टहलने की आदत डाले, कम से कम २-३ किलोमीटर तक तेज चाल से टहले। ४.रोजाना सुबह १५-३० मिनट तक हल्के व्ययाम अथवा योगासन जरूर करें। ५. रोज सुबह नाश्ते में अंकुरित आहार को शामिल करें, इसे अमृतान्न कहते हैं।क्योंकि ये केवल सुर्य की रोशनी में ही पकते है। इसमें चना,मूँग, गेंहू, मूंगफली, उरद, मैथी तथा सोयाबीन हैं।इन्हें खूब चबाचबा कर खाएं तथा दूध पिये। ६.नियमित समय पर खूब चबा-चबाकर भोजन करें, दांतो का पुर्ण प्रयोग करें, दाँतो का काम आँतो से न ले और भोजन में लगभग २०-३० मिनट का समय लगावे। 'रोटी को पियें तथा दुध को खाये' रोटी को इतना चबाये की वह मीठी लगने लगे।जब वह लार के साथ मिलकर पेट मे जायेगी, तब सुपाच्य हो जायेगी एवं अच्छी ऊर्जा देगी। इस तरह से भोजन करने से आप कब्ज़ से बचे रहेंगे। ७.दैनिक भोजन में सलाद को जरूर शामिल करें।

Thursday 28 December 2017

CITY PALACE:- JAIPUR


CITY PALACE:- JAIPUR
THE CITY PALACE IS ALSO KNOWN AS CHANDRA MAHAL .IT IS IN THE CENTER OF JAIPUR AND COVERS 1/7 OR 15% OF THE PINK CITY'S AREA. JAI SINGH  BUILT IT BETWEEN 1729 TO 1732. A HIGH WALL WITHIN WHICH ARE A SERIES OF CONTRYARDS , GARDEN AND OTHER BUILDINGS SURROUNDING THE PALACE. SUCCESSIVE RULES HAVE MADE ADDITIONAL TO EXISTING COMPLEX. SOME OF THE MAHARAJAS FILLED THE PALACE WITH SCIENTIFIC AND ARTISTIC TREASURES,WHILE OTHERS FOCUSED ON PUBLIC WORKS. THE PALACE IS NOW A MUSEUM.
RAJ MAHAL   

knoeledge for you

HAWA MAHAL:-JAIPUR


HAWA MAHAL:-The Hawa Mahal is the Very important construction inaround the world.The Hawa Mahal ,which adjoins the famous City Palace wall,was built in 1799 by Maharaja Sawai Pratap singh and has now become one of the major landmark of Rajasthan.The palace is shaped like a pyramid and is five storied building,with number of small windows and screens,with arched roofs.There is intricate carving in the front and much attention has been paid to even minutes detail yet the backside is more a mass of pillars and passages. It's purpose was simply to allow the Royal women a view of ceremonial processions while seated behind the small windows,allowing them to look out without themselves being seen.

Tuesday 26 December 2017

Knee replacement by pinless computer


पिनलैस कम्प्यूटर द्धारा घुटनों का ईलाज

कंप्यूटर प्रोधोगिकी का सदुपयोग करते हुए सर्जन और शोधकर्तॉ लगातार प्रत्येक सर्जरी मे परफैक्शन पाने कि सफल प्रयास कर रहे है। कम्प्यूटर के माग्रदर्शन में घुटने बदलने की शल्य क्रिया ! पूर्ण घुटने बदलने की प्रक्रिया में  क्षतिग्रस्त घुटने की जुड़ी सतह को बदल कर कृत्रिम अंग अतार्थ कृत्रिम घुटने लगाये जाते है !                        प्रत्यारोपण के लिए कंप्यूटर नेविगेशन सिस्टम एक अतिरिक्त जाचं प्रणाली है ! जो प्रत्यारोपण के उचित होने व् उसके बैलेंस को जांचता है ! कंप्यूटर नेविगेटेड द्वारा घुटने को बदल कर उसकी विकृति में पुरे सुधार का आश्वाशन दिया जाता है ! इसमें वसा उत्तको के जीवन के प्रति खतरा भी कम रहता है ! इसमें जांघ की हड्डी में छेद करने की ज़रूरत नहीं होती है !                                                                                                               घुटने बदलने के लिए कंप्यूटर नेविगेटेड प्रणाली में कैमरे की सहायता से कंप्यूटर में ३ डी  मॉडल बनाया जाता है ! और सर्जरी के समय विभिन्न भागो तक पहुँच कर विशेष जांच की जाती है ! और कंप्यूटर के मार्गदर्शन में घुटना सफलतापूर्वक बदल दिया जाता है !                                                                                                            पिन कंप्यूटर नेविगेशन प्रोधोगिकी एक दशक पूर्व आई थी ! लेकिन इसमें अन्य कमियों के चलते यह लोकप्रिय नहीं हो सका ! कंप्यूटर असिस्टेड प्रत्यारोपण के पिछले प्रणाली में जांघ और पैरो में ड्रिल से अतिरिक्त छेद करके गाइड को जोरा जाता था ! इससे कई बार कोम्प्लिकेशंन होने की संभावना अधिक होती थी जैसे हड्डियों में फ्रैक्चर ,पिन से इन्फेक्शन ,ड्रिल से छेद करने पर इन्फेक्शन इत्यादी ! फायदे तो थे लेकिन कुछ अतिरिक्त ज़टीलताओ के साथ !                                                                                                                                पिनलेस नेविगेशन के अत्यानुधिक स्टेट में जांघ और पैर की हड्डियों में ड्रिलिंग कर छेद करने की आवश्यकता नहीं है ! आधुनिक पिनलेस कंप्यूटर नेविगेशन प्रणाली पहले की संश्करण से बेहतर है ! कंप्यूटर नेविगेटेड द्वारा कंप्यूटर असिस्टेड सर्जरी द्वारा  प्रत्यारोपण करने के समय रोगी की हड्डियों और जोड़ो के सुक्षम  बिंदु तक नज़र आते है ! जिन्हें नंगी आंखें द्वारा नहीं देख सकते है ! जिन पर कम करना है वे कौन से बिंदु है ,इसका अनुमान लगाने के बदले १ या २ डिग्री के अंदर ही कंप्यूटर हमें बताता है कौन से बिंदु है जिन पर हमें काम करना है !


Wednesday 20 December 2017

CONNECTING TO INTERNET


OVERVIEW: THE INTERNET PHENOMENON
 As more businesses and many other people join the internet circle, they are finding that the Internet is grow their work lives. Many business people now work from home instead of commuting to an office each day.
  Before You can do anything online , however, you must connect your PC to the internet. There are several ways to do this. For most people, choosing a type of internet connection is very easy. But if you live in Remote area or have a special need,the choice may be more difficult. 
The next lessson we provide an overview of the options for connecting a computer to the internet. It is also shows how the wireless Internet works, and discusses the need for wireless security. 
We decribe brief description above subject in next pages:-
1) In many homes and Small businesses, individual users connect to the internet by using a telephone line and a 56 kbps modem. The easiest way to creat this kind of connection is by setting up an inexpensive account with an INTERNET service provider (ISP).  The ISP maintains banks of modems at its facility to process the incoming dial-up requests from customers. The ISP's servers route traffic between customer's computers and the Internet.

NEET:-NATIONAL ELIGIBILITY CUM ENTRANCE TEST

सभार:- DAINIK HINDUSTAN
@ विदेश जां कर M.B.B.S करनें बाले STUDENT को भी अब NEET ( नीट ) पास करना अ‍ॅनिवायॅ होगा !

Tuesday 12 December 2017

गिर नेंशनल पार्क

******* गिर नेशनल पार्क ********पुरे विश्व मे गिर गिर नेशनल पार्क,गुजरात ए‌क-मात्र जगह है जहाँ SPOT शेर प्रसनत्ता पुर्वक मुक्त रुप से विचरण करते है ! यह जूनागढ़ जिले के दक्षिण-पूर्वी-भाग से 65 किलोमीटर पर है ! 18 सितम्बर, 1965 मे यह  वाईल्ड  लाईफ सन्‍चूँरी के रूप में सुचींबद्ध हुआ था ! गिर नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 1412 वर्ग किलोमीटर है ! जिसमे 258 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र सघन वन- क्षेत्र  है ! सन्‌ 1913 में यहां शेरों की संखया लगगभग 20 थीं ! जब 2015 में इनकी गिनती हुई तो इनकी संख्या 523 थीं ! जिसमें से 106  शेर ,201 शेरनी और 213 शावक थे ! चौसिंघा जानवर क़े शरण -स्थल  के रुप मे भी गिर नेंशनल पार्क जाता जाता है ! 200 से ज्यादा पछिंयो की स्पेशिज यहाँ पायी जाती हैं ! WHITE BACKED और LONG BILLED VULTURE का निवास स्थान यहाँ पर है !  शाशन गिर 40 से ज्यादा सरिसृप और उभयचर से शुशोभित है ! इस पार्क मे एक बहुत बड़ा जलाशय है जिसे " कम्लेश्वर " के नाम से जानते है ! इस नेशनल पार्क में बहुत प्रकार के सर्प पाये जाते है जैसे - रसेल वाइपर , शॉ स्क़ेल वाइपर और करैत इत्यादि ! देवालिया :- देवलिया सफारी पार्क एक घिरा हुआ स्थल इस नेशनल पार्क मे है ! जिसमे दर्शनर्थि के लिये एक अच्छा अवसर प्रदान करती है जिसमे से यात्रीगन लगभग 30 मिनट मे पूरे नेशनल पार्क को एक बार आर - पार बीचो- बीच दर्शन करते है ज़िसमे पार्क की सुंदरता और भव्यता को देखा जा सकता है ! यह नेशनल पार्क पुरे वर्ष में 16 अक्टूबर से 15 जुन तक यात्रियों के लिये खुला रह्ता है !जुनागढ़ रेलवे स्टेशन एक आसान रास्ता है इस पार्क तक पहुँचने के लिये अहमदाबाद , राजकोट , बड़ौदा व अन्य बड़े शहरौ से जुनागढ़ रेलवे स्टेशन पहूँचा जा सकता है ! जुनागढ़ स्टेशन से साशन गिर नेशनल पार्क पहुँचने मे 1 घंटा या 30 मिनट का समय लगता है। राजकोट रेलवे स्टेशन या राजकोट हवाई अड्डा से आप एक बस या छोटी कार से लिम्डा चौक जाने पर ,वहाँ प्राईवट कार या सवारी गाड़ी हरेक समय मिलती है। जहॉ से आप 2 घण्टे 30 मिनट में जूनागढ़ पहुँच सकते है जो लगभग 105 कि. मी. की दुरी पर है । जूनागढ़ के टैक्सी स्टैंड के विपरीत साशन गिर नेशनल पार्क के गेट न०-11 & १२ तक पहुच सकते है।दियु एयरपोर्ट से भी गिर नेशनल पार्क पहुंचा जा सकता है।दियु हवाई अड्डा से साशन गिर पार्क की दूरी लगभग 110 की.मी. है और एयर पोर्ट के बाहर टैक्सी सवारी आसानी से उपलब्ध होती हैं। knowledge for you

Sunday 3 December 2017

Mineral Oil

                       READ ABOUT:- Mineral oil
                      ( खनिज तेल )
Mineral oil is very important to us. knoeledge for you
खनिज तेल या पेट्रोलियम ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत तथा वर्तमान वैज्ञानिक सभ्यता का मूल आधार है। यह मोड़दार पर्वत के निकटवर्ती भागों तथा समुन्द्र के गर्भ में स्तिथ अवसादी चट्टानों(sedimentary रॉक) से प्राप्त होता हैं, इसलिए इसे चट्टानी तेल के नाम से जाना जाता है। बलुआ पत्थर(sand stone), चुना पत्थर (lime stone) तथा मिट्टी के पत्थर (Shale) में यह उसी प्रकार संतृप्त होता है जिस प्रकार स्पंज में पानी।
 भू- वैज्ञानिक के मतानुसार- वनस्पति एवं जीव जन्तुओ के बड़ी मात्रा में नदियो, डेल्टाओं एवं समुन्द्रों के कीचड़, मिट्टी, बालू आदि निछापो की तहो में करोड़ो बरसों की अवधि तक दबे रहने तथा उन पर भारी दबाब , भूगर्भिक उष्णता ,रेडियोधार्मिता,तथा रासायनिक क्रिया के प्रभाव के फलस्वरूप खनिज तेल का निर्माण होता है। यह हाइड्रोकार्बन का एक ज्वलनशील मिश्रण होता हैं।जिसमें 80% कार्बन,13% हाइड्रोजन,तथा 7%नाइट्रोजन तथा गंधक आदि मिश्रण होते हैं।
 ★ भारत का सबसे महत्वपूर्ण तेल उत्पादन झेत्र अपतटीय मुंबई हाई तथा बेसिन झेत्र हैं।तेल और प्राकृतिक गैस आयोग ( Oil &Natural gas commission) द्वारा किये गये पर्यवेश्रेणो द्वारा पता लगा हैं कि भारत में 27 बेसिन हैं। जिसका अवसादी झेत्र भूमि पर लगभग 14.1 लाख वर्ग किलोमीटर है।और 2.6 लाख वर्ग किलोमीटर सागरीय झेत्र (off-shore) में है।जिसमें तेल मिलने की पूरी संभावना है।
भारत में विभिन्न राज्यों में निम्न प्रकार से वितरण पाया जाता हैं।
1. उत्तरी असम ( जिसमें नागालैंड, सिक्किम की पहाड़ियो और मेघालय के उत्तरी पठार की सीमा सम्मलित हैं ) तथा दक्षिणी असम -सुरमा घाटी और त्रिपुरा प्रदेश (  जिसमें दक्षिणी मेधालय पठार,सिल्चर और कछार जिले,मिजोरम और त्रिपुरा समिमलित हैं,)

WDG4 DIESEL LOCO POWER DISTRIBUTION

 इंजन स्टार्ट होते ही मेन बैंक सापट के गियर से चाल लेकर Auxiliary जनरेटर का आमेचर घूमना शुरू कर देता है जो स्वंय के बनाये गये करन्ट से इसकी ...