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( खनिज तेल )
Mineral oil is very important to us. knoeledge for you
खनिज तेल या पेट्रोलियम ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत तथा वर्तमान वैज्ञानिक सभ्यता का मूल आधार है। यह मोड़दार पर्वत के निकटवर्ती भागों तथा समुन्द्र के गर्भ में स्तिथ अवसादी चट्टानों(sedimentary रॉक) से प्राप्त होता हैं, इसलिए इसे चट्टानी तेल के नाम से जाना जाता है। बलुआ पत्थर(sand stone), चुना पत्थर (lime stone) तथा मिट्टी के पत्थर (Shale) में यह उसी प्रकार संतृप्त होता है जिस प्रकार स्पंज में पानी।
भू- वैज्ञानिक के मतानुसार- वनस्पति एवं जीव जन्तुओ के बड़ी मात्रा में नदियो, डेल्टाओं एवं समुन्द्रों के कीचड़, मिट्टी, बालू आदि निछापो की तहो में करोड़ो बरसों की अवधि तक दबे रहने तथा उन पर भारी दबाब , भूगर्भिक उष्णता ,रेडियोधार्मिता,तथा रासायनिक क्रिया के प्रभाव के फलस्वरूप खनिज तेल का निर्माण होता है। यह हाइड्रोकार्बन का एक ज्वलनशील मिश्रण होता हैं।जिसमें 80% कार्बन,13% हाइड्रोजन,तथा 7%नाइट्रोजन तथा गंधक आदि मिश्रण होते हैं।
★ भारत का सबसे महत्वपूर्ण तेल उत्पादन झेत्र अपतटीय मुंबई हाई तथा बेसिन झेत्र हैं।तेल और प्राकृतिक गैस आयोग ( Oil &Natural gas commission) द्वारा किये गये पर्यवेश्रेणो द्वारा पता लगा हैं कि भारत में 27 बेसिन हैं। जिसका अवसादी झेत्र भूमि पर लगभग 14.1 लाख वर्ग किलोमीटर है।और 2.6 लाख वर्ग किलोमीटर सागरीय झेत्र (off-shore) में है।जिसमें तेल मिलने की पूरी संभावना है।
भारत में विभिन्न राज्यों में निम्न प्रकार से वितरण पाया जाता हैं।
1. उत्तरी असम ( जिसमें नागालैंड, सिक्किम की पहाड़ियो और मेघालय के उत्तरी पठार की सीमा सम्मलित हैं ) तथा दक्षिणी असम -सुरमा घाटी और त्रिपुरा प्रदेश ( जिसमें दक्षिणी मेधालय पठार,सिल्चर और कछार जिले,मिजोरम और त्रिपुरा समिमलित हैं,)
( खनिज तेल )
Mineral oil is very important to us. knoeledge for you
खनिज तेल या पेट्रोलियम ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत तथा वर्तमान वैज्ञानिक सभ्यता का मूल आधार है। यह मोड़दार पर्वत के निकटवर्ती भागों तथा समुन्द्र के गर्भ में स्तिथ अवसादी चट्टानों(sedimentary रॉक) से प्राप्त होता हैं, इसलिए इसे चट्टानी तेल के नाम से जाना जाता है। बलुआ पत्थर(sand stone), चुना पत्थर (lime stone) तथा मिट्टी के पत्थर (Shale) में यह उसी प्रकार संतृप्त होता है जिस प्रकार स्पंज में पानी।
भू- वैज्ञानिक के मतानुसार- वनस्पति एवं जीव जन्तुओ के बड़ी मात्रा में नदियो, डेल्टाओं एवं समुन्द्रों के कीचड़, मिट्टी, बालू आदि निछापो की तहो में करोड़ो बरसों की अवधि तक दबे रहने तथा उन पर भारी दबाब , भूगर्भिक उष्णता ,रेडियोधार्मिता,तथा रासायनिक क्रिया के प्रभाव के फलस्वरूप खनिज तेल का निर्माण होता है। यह हाइड्रोकार्बन का एक ज्वलनशील मिश्रण होता हैं।जिसमें 80% कार्बन,13% हाइड्रोजन,तथा 7%नाइट्रोजन तथा गंधक आदि मिश्रण होते हैं।
★ भारत का सबसे महत्वपूर्ण तेल उत्पादन झेत्र अपतटीय मुंबई हाई तथा बेसिन झेत्र हैं।तेल और प्राकृतिक गैस आयोग ( Oil &Natural gas commission) द्वारा किये गये पर्यवेश्रेणो द्वारा पता लगा हैं कि भारत में 27 बेसिन हैं। जिसका अवसादी झेत्र भूमि पर लगभग 14.1 लाख वर्ग किलोमीटर है।और 2.6 लाख वर्ग किलोमीटर सागरीय झेत्र (off-shore) में है।जिसमें तेल मिलने की पूरी संभावना है।
भारत में विभिन्न राज्यों में निम्न प्रकार से वितरण पाया जाता हैं।
1. उत्तरी असम ( जिसमें नागालैंड, सिक्किम की पहाड़ियो और मेघालय के उत्तरी पठार की सीमा सम्मलित हैं ) तथा दक्षिणी असम -सुरमा घाटी और त्रिपुरा प्रदेश ( जिसमें दक्षिणी मेधालय पठार,सिल्चर और कछार जिले,मिजोरम और त्रिपुरा समिमलित हैं,)
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