Saturday 29 December 2018

विजयगढ़ एक रहस्यमयी किला


विजयगढ़ किला
विजयगढ़ किला , भारतवर्ष के एक राज्य उत्तरप्रदेश के सोनभद्र ज़िले में स्तिथ 400 फिट ऊंचा एक ऐतिहासिक धरोहर है। इसका आधा क्षेत्र कैमूर की खड़ी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इतिहासकारो के मुताबिक इसका निर्माण पांचवी सदी में कोल राजाओं के द्वारा हुआ था। 400 फिट ऊंचे इस रहस्मयी किला मऊकला ग्राम में रॉबर्ट्सगंज जिले से 30 किलोमीटर की दूरी पर है।
राम सागर सरोवर
इसकी मुख्य विशेषता इसमे बने हुए गुफा चित्र, शिलालेख, मूर्तियां और बारहमासी तालाब है। मुख्य द्वार पर एक मुस्लिम संत सैय्यद जैन उल आबदीन मीर साहिब का स्थल है। जो हज़रत मीरान साहब बाबा के नाम से विख्यात हैं। यही पर प्रत्येक वर्ष उर्स मेला का आयोजन अप्रैल माह में किया जाता है। इस किले के नज़दीक दो सरोवर है जिन्हें 'राम सागर' और 'मीर सागर' के नाम से जाना जाता हैं। जिनके मध्य "रंग महल " है जिनमे खूबसूरत नक़्क़ाशी उकेरे हुए है।  
यहाँ के सप्त सरोवर अत्याधिक ऊँचाई पर होने के वाबजूद यहाँ पर जल कहाँ से आता है आश्चर्य का विषय है। दो मुख्य सरोवर राम सागर और मीर सागर जा जल कभी नही सूखता है। जो एक रहस्य ही है। रामसागर की गहराई का अंदाज़ा आज भी नही हुआ है। इसी सरोवर से काँवरिया जल भर कर शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। 
मउगांव में बने इस किले तक सड़क के अतिरिक्त सीढ़ीनुमा रास्ते से भी पैदल जाया जा सकता हैं। यहाँ महात्मा बुद्ध के कुछ दुर्लभ अबशेष भी है। इतिहासकारो के अनुसार इसका निर्माण पांचवी सदी में कोल राजाओ ने करवाया था। काशी के राजा चेत सिंह ब्रिटिश काल तक इस किले पर काबिज थे। चंदेलों के द्वारा यहाँ का राज-काज संभालने का उल्लेख है।
यह वही किला है जिस पर महान उपन्यासकार देविकिनन्दन खत्री ने चंद्रकांता उपन्यास लिखा था। राजकुमारी चंद्रकांता विजयगढ़ की ही राजकुमारी थी। और इस उपन्यास के कहानी के अनुसार नवगढ़ (चंदौली) के राजकुमार (नवगढ़-विजयगढ़ के नज़दीक है) वीर वीरेंद्र सिंह को विजयगढ़ के राजकुमारी चंद्रकांता से प्रेम हो गया था। तथा दोनों राजपरिवारों के बीच दुश्मनी विख्यात थी।
स्थानीय निवासियों के अनुसार इस किले के अंदर एक और किला है।जहाँ अकूत खज़ाना गड़ा पड़ा हुआ है। मध्य रात्रि को मशाल लेकर किले की और जाते हुए लोगो को देखा गया है। 


रख रखाव के अभाव में इस अमूल्य धरोहरों को खंडहर में बदलते देर नही लगेगी। पुरातत्व विभाग इस किले की महत्ता और महिमा को धयान में रखते हुए इसे सरश्चित करने का प्रयास करे।
 यहाँ पर ट्रेन और रोडवेज (सरकारी बस) के नाध्यम से पहुंचा जा सकता है।  
रॉबर्ट्सगंज (वर्तमान नाम सोनभद्र) निम्नलिखित ट्रैन के द्वारा जाया जा सकता है।
1. स्वर्णजयंती एक्स. 12874 सप्ताह में तीन दिन नई दिल्ली से रांची 
2. त्रिवेणी लिंक एक्स. 14370 बरेली से सिंगरौली प्रतिदिन
3. सिंगरौली इटरसिटी एक्स. 13345 वाराणसी से सिंगरौली
4. टाटानगर एक्स. 18102 जम्मूतवी से टाटानगर वाया करनाल, अलीगढ़ से होते हुए जाती है।
5. इलाहाबाद चोपन यात्री गाड़ी 53346 :- इलाहाबाद से चोपन 

इसके अलावा सरकारी रोडवेज बस के द्वारा वाराणसी और इलाहाबाद से रॉबर्ट्सगंज अथार्त सोनभद्र पहुँचा जा सकता है। और यहाँ से 30 किलोमीटर की यात्रा प्राइवेट टैक्सी से जाया जा सकता है।

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