Thursday, 19 July 2018

,** मानक हिंदी वर्णमाला : भाग १

स्वाधीनता से पहले सांस्कृतिक पुनर्जागरण के पुरोधा और स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत अनेक चिंतक और श्रेष्ठ मनीषियों ने भारतवर्ष जैसे एक बहुभाषी राष्ट्र के लिए एक राष्ट्रभाषा की आवश्यकता पर निरंतर बल दिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने तो यहां तक कहा कि राष्ट्रभाषा के अभाव में देश गूंगा है। इसीलिए उन्होंने देश की स्वतंत्रता तथा उसके उत्थान के लिए जो अनेक रचनात्मक काम हाथ में लिए ,उनमें से एक काम हिंदी के प्रचार प्रसार का काम था।
"अनेकता में एकता" भारतीयता का मूलमंत्र है।हमारा देश बहुभाषी ही नहीं,बहुजातीय और बहुधर्मी भी है। इस महादेश का भूगोल और इतिहास विविधता से भरा है।रहन सहन और खानपान में भी भिन्नता दृष्टिगोचर होती है।
भारतीय संविधान की अष्टम  अनुसूची में १८ भाषाएं गिनाई गई हैं।देश की एकता और अखंडता को सुदृढ़ करने के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न भाषा भाषी प्रदेशों की जनता को भावात्मक दृष्टी से निकट लाया जाए। इसके अतिरक्त यह भी जरुरी है कि देश के विभिन्न प्रदेशों के बीच बौद्धिक और सांस्कृतिक आदन प्रदान की स्वस्थ परंपरा को उत्तरोत्तर बहुआयामी प्रोत्साहन दिया जाए।

हिंदी के संघ की राजभाषा स्वीकृत हो जाने से यह और भी आवश्यक हो गया है कि उसे संविधान द्वारा स्वीकृत सभी भारतीय  भाषाओं के निकट लाया जाए और उनमें परस्पर समान तत्वों की खोज की जाए।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३५१ में हिंदी भाषा के विकास के लिए दिया गया निर्देश इस प्रकार है:
"हिंदी भाषा की  प्रसार वृद्धि करना , उसका विकास करना ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सब तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम हो सके तथा उसकी आत्मीयता में हस्तक्षेप किए बिना हिन्दुस्तानी और अष्टम अनुसूचि में  

उल्लखित अन्य भारतीय भषाओं के रूप , शैली और पदावली को आत्मसात करते हुए जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहा उसके शब्द भंडार के लिए मुख्यत: संस्कृत से उल्लिखित भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करना संघ का कर्तव्य होगा।"
संविधान की इस भावना के अनुपालन की दिशा में १ मार्च,१९६० को शिक्षा मंत्रालय ( अब शिक्षा विभाग ,मानव संसाधन विकास मंत्रालय) के अधीन केंद्रीय हिंदी निदेशालय की स्थापना हुई। मद्रास,हैदराबाद , गुवाहाटी और कोलकात्ता में इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय है।हिंदी को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान करने , हिंदी भाषा के माध्यम से जन जन को जोड़ने और हिंदी को वैश्विक धरातल पर प्रतिष्ठा दिलाने के लिए निरंतर प्रयासरत हिंदी कि यह सरकारी संस्था अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं को कार्यान्वित कर रही हैं।

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