हमारे लिए ही नही वनिस्पत अन्य जीवों के लिए ऑक्सिजन का बहुत ज्यादा महत्व है। हमारे शरीर के विभिन्न अंगों जैसे लिवर,किडनी ,ह्रदय, मस्तिष्क और सभी अंगों के सुचारू रूप में काम करने के लिए ऑक्सीजन की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती हैं। यदि हमारे शरीर को ऑक्सिजन की कमी होती हैं तो उसे हम "हाइपोजिया" या "ह्यापोक्सिया" कहते हैं। मानव शरीर का सभी अंग तभी सुचारू रूप काम करता है जब उसे ऑक्सीजन की पुर्ति होती रहती हो। ऑक्सीजन की यह पुर्ति हमारे शरीर में ब्लड के द्वारा होती है। लेकिन शारिरिक दुर्बलता और अन्य बीमारियों के कारण हमारे शरीर में ऑक्सिजन ग्रहण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है या ब्लड में ऑक्सिजन का स्तर कम हो जाता है। इस स्थिति में स्वसन प्रक्रिया धीमी हो जाती हैं। साँस लेने में तकलीफ होती हैं।
जब हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 90% से कम हो जाती तो उसे ह्यापोक्सिया या ह्यपोजेमिया कहते है। अस्थमा ,न्यूमोनिया और फेफड़ों जैसे अन्य बीमारियों के कारणों से ऐसा होता हैं।इस बिमारी से बचने के लिए समय समय पर रक्त में ऑक्सिजन के स्तर की जांच करवाते रहना चाहिए। ब्लड जांच के द्वारा ऑक्सिजन स्तर की जांच हिती है इसमें किसी धमनी (Artery) से ब्लड का नमूना लिया जाता है। इसके अतिरिक्त ऑक्सिमीटर के द्वारा भी जांच की जाती है। इस तकनीक में अँगुली में एक क्लिप लगा कर रक्त में ऑक्सिजन की स्तर एक छोटी सी स्क्रीन पर देखते है। यदि ऑक्सिजन का स्तर 90% से कम होती है तो आप ऑक्सिजन की कमी के शिकार है।जिससे साँस लेने में तकलीफ होने लगती है। यह किसी को भी हो सकती हैं। खासकर फेफड़ों की समस्याओं से ग्रसित मानव। इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण शरीर में आयरन की कमी होती है।
ह्यापोक्सिया में निम्नलिखित समस्या उत्पन्न होती है।
1. त्वचा का रंग नीला होना
2. बिना किसी शारीरिक परिश्रम के थक जाना या पसीना आना
3. सीने में दर्द होना
4. साँस लेने में तकलीफ होना
5. त्वचा में नमी कम होना इत्यादि।
बचाव:-
1.कुछ सावधानियां अपना कर हैम इससे बची सकते हैं।
2. कमरा बंद नही रहना चाहिए।
3.सुबह के समय खिड़कियाँ खोल कर रखना चाहिए।
4.प्राणायाम और नियमित अनुलोमविलोम करना चाहिए।
5.अपने घर मे पेड़-पौधे लगाना चाहिए जिससे हरियाली बनी रहे।
6.डॉक्टर से नियमित जांच करवाते रहे।
जब हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 90% से कम हो जाती तो उसे ह्यापोक्सिया या ह्यपोजेमिया कहते है। अस्थमा ,न्यूमोनिया और फेफड़ों जैसे अन्य बीमारियों के कारणों से ऐसा होता हैं।इस बिमारी से बचने के लिए समय समय पर रक्त में ऑक्सिजन के स्तर की जांच करवाते रहना चाहिए। ब्लड जांच के द्वारा ऑक्सिजन स्तर की जांच हिती है इसमें किसी धमनी (Artery) से ब्लड का नमूना लिया जाता है। इसके अतिरिक्त ऑक्सिमीटर के द्वारा भी जांच की जाती है। इस तकनीक में अँगुली में एक क्लिप लगा कर रक्त में ऑक्सिजन की स्तर एक छोटी सी स्क्रीन पर देखते है। यदि ऑक्सिजन का स्तर 90% से कम होती है तो आप ऑक्सिजन की कमी के शिकार है।जिससे साँस लेने में तकलीफ होने लगती है। यह किसी को भी हो सकती हैं। खासकर फेफड़ों की समस्याओं से ग्रसित मानव। इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण शरीर में आयरन की कमी होती है।
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ह्यापोक्सिया में निम्नलिखित समस्या उत्पन्न होती है।
1. त्वचा का रंग नीला होना
2. बिना किसी शारीरिक परिश्रम के थक जाना या पसीना आना
3. सीने में दर्द होना
4. साँस लेने में तकलीफ होना
5. त्वचा में नमी कम होना इत्यादि।
बचाव:-
1.कुछ सावधानियां अपना कर हैम इससे बची सकते हैं।
2. कमरा बंद नही रहना चाहिए।
3.सुबह के समय खिड़कियाँ खोल कर रखना चाहिए।
4.प्राणायाम और नियमित अनुलोमविलोम करना चाहिए।
5.अपने घर मे पेड़-पौधे लगाना चाहिए जिससे हरियाली बनी रहे।
6.डॉक्टर से नियमित जांच करवाते रहे।
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