Fire Burn safety ( आग से जलना )
* किसी भी आकस्मिक कारणों से व्यक्ति आग की चपेट में आ जाता हैं।यह एक संकट कि अवस्था है।इसके लिए हमें प्राथमिक उपचार क्याकरना चाहिए और इसकी जानकारी भी अच्छी तरह से होनी चाहिए:
(४). यदि शरीर का अधिक भाग झुलस गया हो तो चिकित्सालय में रोगी को ले जाना चाहिए शरीर का अधिक भाग जल गया हो तो व्यक्ति के बचने की संभावना कम होती है। (५).जले हुए स्थान को हलके-हलके रुई से साफ करके नारियल या जैतून का तेल आदि लगाना चाहिए। संक्रमण आदि से बचने के लिए जीवाणुनाशक घोल- जैसे सोडाबाईकार्ब के घोल से धोना उचित है मलहम लगाने से घाव देरी से भरते हैं।
(६).खुले घाव में रुई चिपक जाती है।चिपकने पर उसे छुड़ाने की चेष्टा न करे, क्योंकि ऐसा करने से घाव बढ़ जाएगा। (७). घाव को सदैव ढक कर रखे जिससे मच्छर-मक्खी आदि के बैठने से संक्रमण न हो।
(८). फफोलो को फोड़े नही इस परतीसी या नारियल का तेल अथवा मक्खन लगाए।भूल कर भी मिट्टीका तेल,पेट्रोल या स्प्रिट न लगायें। (९). यदि छोटा बच्चा गलती से आग से झुलस जाए तो जले हुए हिस्से को तबतक पानी मे डुबाये रखे जबतक जलन समाप्त न हो जाये।असली शहद का लेप करने से भी जलन शांत हो जाती है।
(१०). रोगी को मुलायम आरामदायक बिस्तर पर लिटाये तथा प्रयाप्त जल पिलाते रहे।पौष्टिक आहार दे तथा मानसिक रूप से सांत्वना देते रहे कि वह जल्दी ठीक हो जायेगा।शरीर मे जल का संतुलन बना रहे ,इसके लिए ग्लूकोज चढ़ाने की आवश्यकता पर सकती है।चिकित्सक का परामर्श लेना भी आवश्यक है। knowledge for you
(१). आग की लपेटमे आने पर दौड़ना-भागना नहीं चाहिए। आग से सुरक्षित स्थानपर लेटकर इधर-उधर लुढ़कना चाहिये।इससे आग जल्दी बुझ जाती है।जलते हुए कपड़ो को बड़ी सावधानी से ब्लेड या चाकू से काटकर अलग कर देना चाहिए। (२). जलते हुए वयक्ति पर मिट्टीकम्बल आदि डालकर आग बुझाने का प्रयास करना चाहिये। कम्बल से इस प्रकार ढक दे कि हवा बंद हो जाय।इससे आग तुरंत बुझ जाएगी। कम्बल आदि डालकर आग बुझाने से घाव की गहराई बढ़ जाती है और त्वचा काफी अंदर तक झुलस जाती है। पानी डालकर बुझाने से फफोले पड़ जाते हैं, पर घाव गहरे नही होते।यथाशीघ्र जो भी साधन उपलब्ध हो,उससे आग बुझाना चाहिए।
(३). जले हुए स्थान पर नारियल का तेल लगाना चाहिये।यदि गरम घी- तेल आदि गिरने से फोले पर जाये तो यह उपचार प्रयाप्त हैं।(४). यदि शरीर का अधिक भाग झुलस गया हो तो चिकित्सालय में रोगी को ले जाना चाहिए शरीर का अधिक भाग जल गया हो तो व्यक्ति के बचने की संभावना कम होती है। (५).जले हुए स्थान को हलके-हलके रुई से साफ करके नारियल या जैतून का तेल आदि लगाना चाहिए। संक्रमण आदि से बचने के लिए जीवाणुनाशक घोल- जैसे सोडाबाईकार्ब के घोल से धोना उचित है मलहम लगाने से घाव देरी से भरते हैं।
(६).खुले घाव में रुई चिपक जाती है।चिपकने पर उसे छुड़ाने की चेष्टा न करे, क्योंकि ऐसा करने से घाव बढ़ जाएगा। (७). घाव को सदैव ढक कर रखे जिससे मच्छर-मक्खी आदि के बैठने से संक्रमण न हो।
(८). फफोलो को फोड़े नही इस परतीसी या नारियल का तेल अथवा मक्खन लगाए।भूल कर भी मिट्टीका तेल,पेट्रोल या स्प्रिट न लगायें। (९). यदि छोटा बच्चा गलती से आग से झुलस जाए तो जले हुए हिस्से को तबतक पानी मे डुबाये रखे जबतक जलन समाप्त न हो जाये।असली शहद का लेप करने से भी जलन शांत हो जाती है।
(१०). रोगी को मुलायम आरामदायक बिस्तर पर लिटाये तथा प्रयाप्त जल पिलाते रहे।पौष्टिक आहार दे तथा मानसिक रूप से सांत्वना देते रहे कि वह जल्दी ठीक हो जायेगा।शरीर मे जल का संतुलन बना रहे ,इसके लिए ग्लूकोज चढ़ाने की आवश्यकता पर सकती है।चिकित्सक का परामर्श लेना भी आवश्यक है। knowledge for you
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