सैन्य संगठन
सैनिकों के प्रायः चार वर्ग होते थे ।
• प्रथम वर्ग में वे सैनिक आते थे जिनकी भर्ती नियमानुसार सुल्तान की सेना के लिए की जाती थी।
• इसी वर्ग के अन्तर्गत शाही गुलाम, शाही अंगरक्षक इत्यादि आते थे।
• द्वितीय वर्ग में वे सैनिक आते थे, जिनकी भर्ती दरबार के सूबेदारों और प्रान्तीय इक्तादारों द्वारा की जाती थी।
• इनका वेतन इक्तादार ही देते थे ।
• तृतीय वर्ग में वे सैनिक आते थे, जिनकी भर्ती युद्ध के समय अस्थायी रूप से की जाती थी ।
• चतुर्थ वर्ग में वे सैनिक आते थे जो स्वेच्छा से युद्ध करने के उद्देश्य से सेना में भर्ती होते थे ।
• इन्हें युद्ध में लूटी हुई सम्पति में से हिस्सा दिया जाता था ।
• दीवान-ए-आरिज 'आरिज-ए- मुमालिक' सेना का प्रधान होता था ।
• इसका मुख्य कार्य सेना का संचालन, अनुशासन तथा उसपर नियंत्रण रखना था ।
सैनिक अधिकारियों को वेतन के रूप में जागीर तथा सैनिकों को नगद वेतन दिया जाता था ।
• सेना के तीन विभाग थे- (1) घुड़सवार सेना (2) हस्ति सेना (3) पैदल सेना
• घुड़सवार सेना, सेना का मुख्य आधार थी • घुड़सवार दो प्रकार के होते थे- एक अस्पा, यानी जिनके पास एक घोड़ा होता था। तथा दो अस्पा-जिनके पास दो घोड़ा होता था।
• हस्तिसेना का प्रचलन भी था ।
• पैदल सेना को 'पायक' कहा जाता था ।
• युद्ध के समय सेना को चार भागों में विभाजित किया जाता था ।
• ये भाग थे-केन्द्रीय, बाम पक्ष, दक्षिण पक्ष और सुरक्षित दल।
No comments:
Post a Comment