पत्ती को तने या शाखा की लेटरल वृद्धि कह सकते है। पत्तियाँ एक पर्वसंधि (नोड) से विकसित होती है और इसके कक्ष में एक कलिका होती हैं। साधारणतः यह हरे रंग की होती है।यह पौधे का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग मन जाता हैं क्योंकि पौधे का भोज्य पदार्थ इसी से बनता है।
पत्ती के अन्य भाग होते है।। 1.पर्णाधार (Leaf-base):- यह पत्ती का वह भाग है जिसके द्वारा पत्ती तने से जुड़ी हुई रहती है। 2. पर्णवृन्त (Petiole):- यह पत्ती का मध्य डंठल होता है। जब यह नही होता हैं तो पत्ती को अवृन्त (sessile) कहते हैं। जब यह उपस्थित रहता है तो सवृन्त (petiolate) कहते हैं। अवृन्त पत्ती के पर्ण-फलक (leaf-blade) का आधार दो पाालियो lobes में बॅट रह सकता है। 3. पर्ण-फलक या पत्रदल ( Leaf-blade or Lamina):- पत्ती का यह भाग हरा और फैला हुआ भाग है। इसके अध्ययन में सिरे (apex) और किनारे (margin) की आकृति, पत्ती की सतह, पत्ती की बनावट, नाडियों (Rib) का वितरण, सम्पूर्ण पत्ती की प्रकृति -अथार्त पत्ती सरल (simple), हैं या संयुक्त (compound) या उसका कोई मॉडिफाइड रूप है। पर्ण-फलक या पत्रदल में एक मोटी नाड़ी (Rib) जो मध्य-नाड़ी (mid-rib) कहलाती हैं, पत्ती के मध्य ने नीचे से शीर्ष (Apex) तक जाती हैं। इसके lateral से बहुत नाड़ियां निकलती हैं पुनः इनसे छोटी छोटी नाड़ियांए (Ribs) निकली हुई होती हैं। 4. अनुपत्र (stipules) :- पत्ती के बेस पर उसके दायें-बाएँ निकली हुई अतिवृद्धि (appendages) को अनुपत्र कहते है। ये साधारणतः हरे रंग के कभी कभी मुरझाये हुए दिखाई देते हैं। कुछ अनुपत्र (stipules) पत्रदल या पर्ण-फलक के साथ हमेशा जीवित रह सकते हैं।
5.पत्ती का किनारा ( Margin of the leaf) :- पत्ती का किनारा निम्नलिखित तरह का हो सकता है। (क) अभिन्न (Entire) :- एक जैसा और चिकना जैसे आम, बरगद, कटहल इत्यादि। (ख) तरंगित (Repand) :- ऐसी पत्तियां लहरदार होतीं है। जैसे:- अशोक। (ग) आरिवत (Serrate) :- ऐसी पत्ती आरी के दांतों के जैसे दांत ऊपर की ओर उठी हुई, जैसे गुड़हल, गुलाब, नीम (घ) दंतुर (Dentate) :- ऐसी पत्ती के किनारे दांते जैसे बाहर की तरफ और पत्ती के किनारे से समकोण बनाती है। जैसे ख़रबूज़ा औऱ कुमुदिनी (water lily) में। (ङ) गोलछिद्र (Crenate) :- यदि पत्ती गोल दाँतो वाली होती हैं। जैसे ब्राही ( Centella asiatica), अजूबा। (च) शल्यमय (Spinous) :- ऐसी पत्ती में किनारे में कई नुकीले बिंदु होते है। जैसे भरभंडा ( Argemone maxicana )
पत्ती का सतह (Surface of थे leaf)
पत्ती के सतह के आकार और बनावट के आधार पर निम्न नाम दिए जाते है।
1.रोमयुक्त (Hairy):- जब किसी पत्ती के सतह पर घने रोम या छितर रूप में हो।
2.खुरखुरा(Rough):- जब किसी पत्ती को चुने पर खुरदुरापन का अनुभव हो।
3. चिक्कन (Glabrous) :- जब किसी पत्ती का सतह चिकना, मुलायम और रोमों तथा किसी अन्य प्रकार की अतिवृद्धि से रहित हो।
4. आश्ललिश्मित( Glutinous):- जब किसी पत्ती के धारातल पर चिपचिपे पदार्थ का स्त्राव जमा रहता हो। जैसे:- तम्बाकू की पत्ती
5. नीलरहित ( Glaucous):- जब किसी पत्ती का सतह हर और चमकीला हो।
6. शाल्मय(Spiny) :- जब किसी पट्टी का सतह पर शल्य(spine) उपस्थित रहता हो।
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