Sunday, 28 July 2019

गंगा नदी की शुद्धता का तर्क

          
     
   गंगा नदी


गैैंै

गंगा नदी में बेक्टेरिओफेज पाये 
जाते है। बक्टेरियोफेज़ जीवाणुओ 
को संक्रमित करने
 वाले विषाणुओं को 
नष्ट करते है।

उत्तर भारत की सबसे बड़ी और प्रमुख नदी गंग है। गंगा नदी वास्तव में भागीरथी और अलकनंदा नदी का संगम है।
गंगा हिमालय में स्थित गंगोत्री नामक स्थान से निकलती है।
हिमालय के गौमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद(GURUKUL) से निकलती हैं। गंगा के इस उद्गम स्थल की ऊँचाई 3140 मीटर है। यहाँ गंगा जी को समर्पित एक मंदिर है। गंगोत्री तीर्थ, शहर से 19 कि॰मी॰ उत्तर की ओर 3892 मी॰ (12770 फीट) की ऊँचाई पर इस हिमनद का मुख है। यह हिमनद 25 कि॰मी॰ लम्बा व 4 कि॰मी॰ चौड़ा और लगभग 40 मीटर ऊँचा है। इसी ग्लेशियर से भागीरथी एक छोटे से गुफानुमा मुख पर अवतरित होती हैं। इसका जल स्रोत 5000 मीटर ऊँचाई पर स्थित एक घाटी है। इस घाटी का मूल पश्चिमी ढलान की सन्तोपन्थ की चोटियों में है। गौमुख के रास्ते में 3600 मीटर ऊँचे चिरबासा ग्राम से विशाल गौमुख हिमनद के दर्शन होते हैं।
  • इस हिमनद में नन्दा देवी, कामत पर्वत एवं त्रिशूल पर्वत का हिम पिघल कर आता है। यद्यपि गंगा के आकार लेने में अनेक छोटी धाराओं का योगदान है, लेकिन 6 बड़ी और उनकी सहायक 5 छोटी धाराओं का भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्त्व अधिक है। अलकनन्दा (विष्णु गंगा) की सहायक नदी धौली, विष्णु गंगा तथा मन्दाकिनी है। धौली गंगा का अलकनन्दा से विष्णु प्रयाग में संगम होता है। यह 1372 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। फिर 2805 मीटर ऊँचे नन्द प्रयाग में अलकनन्दा का नन्दाकिनी नदी से संगम होता है। इसके बाद कर्ण प्रयाग में अलकनन्दा का कर्ण गंगा या पिंडर नदी से संगम होता है। फिर ऋषिकेश से 139 कि॰मी॰ दूर स्थित रुद्र प्रयाग में अलकनन्दा मन्दाकिनी से मिलती है। इसके बाद भागीरथी व अलकनन्दा 1500 फीट पर स्थित देव प्रयाग में संगम करती हैं यहाँ से यह सम्मिलित जल-धारा गंगा नदी के नाम से आगे प्रवाहित होती है। इन पाँच प्रयागों को सम्मिलित रूप से पंच प्रयाग कहा जाता है।इस प्रकार 200 कि॰मी॰ का सँकरा पहाड़ी रास्ता तय करके गंगा नदी ऋषिकेश होते हुए प्रथम बार मैदानों का स्पर्श हरिद्वार में करती हैं।
    हिमालय की बर्फ पिघलकर इसमें आती रहती है । इसलिए इस नदी में पूरे वर्ष जल रहता है । इस सदानीरा नदी का जल करोड़ों लोगों की प्यास बुझाता है । करोड़ों पशु-पक्षी इसके जल पर निर्भर हैं । लाखों एकड़ जमीन इस जल से सिंचित होती है । गंगा नदी पर फरक्का आदि कई बाँध बनाएं गए हैं।
    1.अलकनंदा नदी तिब्बत के सीमा के नज़दीक गढ़वाल से निकलती है इसमें भागीरथी नदी से ज्यादा जल की मात्रा है। अलकनंदा नदी विष्णुप्रयाग के बाद मध्य हिमालय के प्रमुख और गहरे गड्ढे में होकर बहती हैं। जिसके एक तरफ नंदा देवी और दूसरी तरफ बद्रीनाथ की ऊँची चोटियां स्तिथ है।अलकनंदा नदी का उदगम स्थल धोंली नदी और विष्णुगंगा नदी और आदि नदियों के मिलने से होता है। धौली नीति दर्रे के निकट जास्कर श्रेणी से निकलती हैं। जबकि विष्णुगंगा माना दर्रे के निकट कामेत से निकलती है। अलकनन्दा की एक और सहायक नदी पिंडार है यह पिंडारी हिमनद से निकलकर कर्णप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है मंदाकिनी नदी भी रुद्रप्रयाग के निकट अलकनंदा से मिलती है। नन्दका नदी नंदप्रयाग में आकर मिलती है।
  1. भागीरथी नदी से एक प्रमुख नदी जाह्नवी गंगोत्री के निकट मिलती है। मुख्य हिमालय से निकलकर जाह्नवी नदी गंगौत्री के निकट भागीरथी नदी से मिलती है। भागीरथी नदी और अलकनंदा नदी देवप्रयाग के निकट मिलकर एक हो जाती है।
    देवप्रयाग के बाद दोनों नदियां एक होकर शिवालिक की पहाड़ियों की श्रेणी को काटती हुई गंगा नदी के नाम से ऋषिकेश और हरिद्वार पहुचती है।
    गंगा नदी का उद्गम स्त्रोत केदारनाथ के उत्तर में गौमुख नामक जगह ओर 6,600 मीटर की ऊँचाई पर स्तिथ गंगोत्री हिमनद है। इसी हिमनद के आसपास सांतोपथ, शिवलिंग इत्यादि कई ऊँची पर्वत शिखर है।
    भागीरथी और अलकनंदा नदी देवप्रयाग में एक होकर हिमालय श्रेणीयों में श्रीकांत और बन्दरपंच शिखर के बीच 4,870 मीटर गहरी घाटी बनाकर बहती है।
    ऋषिकेश के बाद गंगा नदी हरिद्वार के निकट मैदानी प्रदेश में प्रवेश करती है।
    गंगा नदी उत्तरप्रदेश के प्रमुख शहरों मेरठ,फरुखाबाद,इलाहाबाद,मिर्ज़ापुर,वाराणसी,बेतिया होते हुए बिहार में प्रवेश करती है। प्रयाग के पास इसमे दाहिनी तरफ से यमुना नदी आकर मिलती है और यह पूर्व की ओर मुड़ जाती है।

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