गोरिल्ला ग्लास एक मज़बूत और विशिष्ट ग्लास का एक प्रकार है। जब भी कोई कठोर वस्तु इस ग्लास से टकराता है या रगड़ करता है तो उस बिशिष्ट ग्लास में ज़ल्द खरोंच तक नही आती और ज़ल्द टूटती भी नही है। गोरिल्ला ग्लास से लैस स्मार्टफोन की स्क्रीन अन्य सामान्य स्क्रीन की तुलना में ज़्यादा मज़बूत और कठोर होतीं है।
इस तरह की मज़बूत और ठोस स्क्रीन के बनने की इतिहास भी उतनी ही रोचक और रोमांचक है। इस ग्लास के बनाने में साइंस्टीफ़िक प्रयोग के दरम्यान सन 1952 ई. में कॉरिना कंपनी के लैब में बना था। उस वक्त एक वैज्ञानिक ने फोटोसेन्सिटिव ग्लॉस को फर्नेस में टेस्ट के लिए रखा था। किसी वक्त उस फरनेस की तापमान 900℃ तक पहुँच गयी थी। अनुमान के विपरीत जब उस फरनेस को खोला गया तो उसमें से तरल ग्लॉस के बदले ग्लास की एक शीट निकल कर आयी। संयोग वश वह ग्लास की शीट नीचे गिर पड़ा लेकिन वह टूटने के जगह बाउन्स कर गयी। तब वैज्ञानिकों को आभास हुआ कि एक नई चीज का आविष्कार हुआ है।
सामान्यतः ग्लास में पोटैशियम साल्ट को 400℃ के तापमान में मेल्ट अथार्त पिघला कर इसमें सोडियम अणु को बड़े पोटैसियम आयन में बदल कर इसे बहुत कठोर बनाया जाता हैं। उत्तरोत्तर वक्त बीतने के साथ कोरिंना कंपनी ने गोरिल्ला ग्लास को और बेहतर तरीके से बनाया है।
कोरिंना कंपनी ने इस विशिष्ट गोरिल्ला ग्लास को मार्केट में 01 फ़रवरी,2008 को लॉन्च किया। इसके बाद कंपनी ने इस ग्लास में उत्तरोत्तर विकसित करते गया।
किसी भी पदार्थ की कठोरता मापने का एक स्केल होता है उसे मोह (Moha) स्केल कहाँ जाता हैं। इसी पर आधारित कोरिंना कंपनी ने अनेक प्रकार के गोरिल्ला ग्लास विकसित किया। जो निम्नलिखित है। गोरिल्ला ग्लास की हार्डनेस मोह स्केल पर 6.5 होती है। जबकि हीरा सबसे कठोर है उसका हार्डनेस मोह स्केल 10 होता है।
अभी तक कोरिंना कंपनी ने छः वर्ज़न बाजार में लॉन्च किया है
कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न एक - पब्लिक के ऊपयोग के लिए पहला वर्ज़न 01 फरवरी,2008 को मार्केट में उतारा गया। इसे न केवल स्मार्टफोन बल्कि पर्सनल कंप्यूटर, नोटबुक,स्मार्टवॉच इत्यादि में उपयोग में लाया जाने लगा।
कोर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न दो -इस वर्ज़न का ग्लास 20 प्रतिसत पतला है। ग्लास पतला होने के कारण टच रिस्पांस उतनी ही बेहतर तरीके से काम करते हैं। जिसके चलते मार्केट में इसकी माँग उतनी ही ज्यादा हो गई।
कोर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न तीन : इस वर्ज़न में एक नया टेक्नोलॉजी नेटिव डैमेज रेसिस्टेंस एन डी आर का इस्तेमाल किया गया था। यह पहले के मुकाबले तीन गुणा अधिक पतला मज़बूत था।
कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न चार : इसमे स्क्रैच रेसिस्टेंट टेक्नोलॉजी को शामिल की गई। यह वर्ज़न तीन से ज़्यादा पतला और चार गुणा अधिक मजबूत और डैमेज रेसिस्टेंस बनाया गया है। यदि इसे एक मीटर की ऊंचाई से सौ बार ज़मीन पर गिराया जाएं तो 80 बार कुछ नही होगा। मोबाइल की खूबसूरती भी बढ़ जाती है।
कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न पाँच: यह लेटेस्ट गोरिल्ला ग्लास चार वर्ज़न का उत्तरजीवी कहा जाता है। यह वर्ज़न पिछले वर्ष सन 2018 में मार्केट में लॉन्च किया गया था। इसे सर्वप्रथम सैमसंग गैलेक्सी के नोट 7 में इस्तेमाल किया गया था। इसे अत्यधिक ड्यूरेबल, टफर और पतला बनाया गया था। जिसमें स्मार्ट फोन की खूबसूरती बढ़ती गयी।
कोर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न छः: इसको कॉर्निंग कम्पनी के इंजीनियर ने खासतौर पर इंजीनीयरिंग किया गया। इसे ठोस और ड्यूरेबल बनाने के लिए नए रिगर टेस्ट माइथोलोजी से लैब में टेस्ट किया गया। इसे लगातार क्रमशः छः पंद्रह बार रफ सतह पर एक मीटर की ऊँचाई से गिराने पर भी कुछ नहीं हुआ। यह कोरिंना ग्लास पाँच की वनिस्पत दो गुणा बेहतर है। इसमे चाकू , सिक्के, हार्ड पत्थर से मारा गया तो उसे भी सह लिया।
इस तरह की मज़बूत और ठोस स्क्रीन के बनने की इतिहास भी उतनी ही रोचक और रोमांचक है। इस ग्लास के बनाने में साइंस्टीफ़िक प्रयोग के दरम्यान सन 1952 ई. में कॉरिना कंपनी के लैब में बना था। उस वक्त एक वैज्ञानिक ने फोटोसेन्सिटिव ग्लॉस को फर्नेस में टेस्ट के लिए रखा था। किसी वक्त उस फरनेस की तापमान 900℃ तक पहुँच गयी थी। अनुमान के विपरीत जब उस फरनेस को खोला गया तो उसमें से तरल ग्लॉस के बदले ग्लास की एक शीट निकल कर आयी। संयोग वश वह ग्लास की शीट नीचे गिर पड़ा लेकिन वह टूटने के जगह बाउन्स कर गयी। तब वैज्ञानिकों को आभास हुआ कि एक नई चीज का आविष्कार हुआ है।
सामान्यतः ग्लास में पोटैशियम साल्ट को 400℃ के तापमान में मेल्ट अथार्त पिघला कर इसमें सोडियम अणु को बड़े पोटैसियम आयन में बदल कर इसे बहुत कठोर बनाया जाता हैं। उत्तरोत्तर वक्त बीतने के साथ कोरिंना कंपनी ने गोरिल्ला ग्लास को और बेहतर तरीके से बनाया है।
कोरिंना कंपनी ने इस विशिष्ट गोरिल्ला ग्लास को मार्केट में 01 फ़रवरी,2008 को लॉन्च किया। इसके बाद कंपनी ने इस ग्लास में उत्तरोत्तर विकसित करते गया।
किसी भी पदार्थ की कठोरता मापने का एक स्केल होता है उसे मोह (Moha) स्केल कहाँ जाता हैं। इसी पर आधारित कोरिंना कंपनी ने अनेक प्रकार के गोरिल्ला ग्लास विकसित किया। जो निम्नलिखित है। गोरिल्ला ग्लास की हार्डनेस मोह स्केल पर 6.5 होती है। जबकि हीरा सबसे कठोर है उसका हार्डनेस मोह स्केल 10 होता है।
अभी तक कोरिंना कंपनी ने छः वर्ज़न बाजार में लॉन्च किया है
कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न एक - पब्लिक के ऊपयोग के लिए पहला वर्ज़न 01 फरवरी,2008 को मार्केट में उतारा गया। इसे न केवल स्मार्टफोन बल्कि पर्सनल कंप्यूटर, नोटबुक,स्मार्टवॉच इत्यादि में उपयोग में लाया जाने लगा।
कोर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न दो -इस वर्ज़न का ग्लास 20 प्रतिसत पतला है। ग्लास पतला होने के कारण टच रिस्पांस उतनी ही बेहतर तरीके से काम करते हैं। जिसके चलते मार्केट में इसकी माँग उतनी ही ज्यादा हो गई।
कोर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न तीन : इस वर्ज़न में एक नया टेक्नोलॉजी नेटिव डैमेज रेसिस्टेंस एन डी आर का इस्तेमाल किया गया था। यह पहले के मुकाबले तीन गुणा अधिक पतला मज़बूत था।
कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न चार : इसमे स्क्रैच रेसिस्टेंट टेक्नोलॉजी को शामिल की गई। यह वर्ज़न तीन से ज़्यादा पतला और चार गुणा अधिक मजबूत और डैमेज रेसिस्टेंस बनाया गया है। यदि इसे एक मीटर की ऊंचाई से सौ बार ज़मीन पर गिराया जाएं तो 80 बार कुछ नही होगा। मोबाइल की खूबसूरती भी बढ़ जाती है।
कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न पाँच: यह लेटेस्ट गोरिल्ला ग्लास चार वर्ज़न का उत्तरजीवी कहा जाता है। यह वर्ज़न पिछले वर्ष सन 2018 में मार्केट में लॉन्च किया गया था। इसे सर्वप्रथम सैमसंग गैलेक्सी के नोट 7 में इस्तेमाल किया गया था। इसे अत्यधिक ड्यूरेबल, टफर और पतला बनाया गया था। जिसमें स्मार्ट फोन की खूबसूरती बढ़ती गयी।
कोर्निंग गोरिल्ला ग्लास वर्ज़न छः: इसको कॉर्निंग कम्पनी के इंजीनियर ने खासतौर पर इंजीनीयरिंग किया गया। इसे ठोस और ड्यूरेबल बनाने के लिए नए रिगर टेस्ट माइथोलोजी से लैब में टेस्ट किया गया। इसे लगातार क्रमशः छः पंद्रह बार रफ सतह पर एक मीटर की ऊँचाई से गिराने पर भी कुछ नहीं हुआ। यह कोरिंना ग्लास पाँच की वनिस्पत दो गुणा बेहतर है। इसमे चाकू , सिक्के, हार्ड पत्थर से मारा गया तो उसे भी सह लिया।
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