भारतमाला फेज-2 के तहत बनने वाले गोरखपुर- सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण का काम बिहार में जल्द शुरू होगा। इसको लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। साथ ही, बिहार सरकार के निर्देश पर संबंधित जिलों में भूमि अधिग्रहण के लिए सक्षम प्राधिकार का गठन भी कर लिया गया है। पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि जल्द इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण की स्वीकृति भारत सरकार से मिलने की उम्मीद है।
इस एक्सप्रेस-वे का अधिकांश हिस्सा बिहार में ही पड़ेगा, जो करीब 416 किलोमीटर का होगा यह पूरी नई सड़क होगी । इसमें सबसे अधिक 94 किलोमीटर सड़क मधुबनी जिले में होगी। फोरलेन के इस एक्सप्रेस-वे के लिए बिहार सरकार केंद्र के प्रस्ताव पर पहले ही अपनी सहमति दे चुकी है। बिहार के आठ जिले पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर सीतामढ़ी, से अधिक 94 मधुबनी जिले में एक्सप्रेस-वे के प्रस्ताव पर दे चुकी है। पश्चिम चंपारण, मधुबनी, सुपौल, अररिया और प्. किशनगंज जिले से यह सड़क गुजरेगी। एक्सप्रेस- अभी गोरखपुर से सिलीगुड़ी के बीच कोई सीधी सड़क नहीं है । इस कारण गोरखपुर से सिलीगुड़ी की दूरी तय करने में एक दिन तक का समय लग रहा है । जबकि, प्रस्तावित गोरखपुर - सिलीगुड़ी हिस्सा एक्सप्रेस-वे से दोनों शहरों के बीच की दूरी घटकर 600 किलोमीटर से भी कम हो जाएगी। इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण बंगाल से सबसे अधिक बिहार को ही लाभ होगा।
उत्तर प्रदेश में इस सड़क का हिस्सा 84.4 किलोमीटर होगा, जो वहां के तीन जिले गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया से होकर गुजरेगा। वहीं, पश्चिम बंगाल के सिर्फ दार्जिलिंग में इस एक्सप्रेस-वे का हिस्सा होगा।
◆किस राज्य में कितनी लंबी होगी यह सड़क
बिहार 416.20 किमी
उत्तर प्रदेश 84.40 किमी
पश्चिम बंगाल 18.97 किमी
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