गठिया (Arthiritis) वह मानव शरीर की वह अवस्था है जिसमें शरीर के जोड़ों में दर्द, उद्दीपन और सूजन पैदा हो जाती है। यह स्तिथि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पाई जाती है। शुरू में बड़े जोडु प्रभावित होते हैं मगर बाद में वह दूसरे जोड़ों तक फैल जाता है। इसके मुख्य प्रकार है: (1) रयूमेटायड आर्थिराइटिस और 121 ऑस्टियो आर्थिराइटिस। एक तीसरे प्रकार का आर्थिराइटिस प्यूरिन मेटाबोलिज्म (Punn Metabolism) की गड़बड़ी से होता है जिसे गाउट (गठिया) कहते हैं।

यूमेटायड आर्थिराइटिस जोड़ों के कार्टिलेज और सिनोबायल झिल्ली में उद्दीपन से पैदा होता है। इस उद्दोपन से तेल जैसा द्रव, जो जोड़ों की हड्डियों को चिकना रखता और परस्पर रगड़ने से रोकता है, प्रभावित हो जाता है। यह दशा स्ट्रेप्टोकोकस की वजह से पैदा हुए प्रदूषण का नतीजा होती है। स्ट्रेप्टोकोकस से विषैला द्रव रिसने लगता है और वह तैल द्रव को सुख्खा देता है जिससे जोड़ में दर्द? हड्डियों में रगड़ और सूजन पैदा हो जाती है। इस वर्ष से कम आयु के बच्चों में भी कभी-कभी यह गठिया हो जाता है; जोड़ों में दर्द, बुखार और सूजन हो जाती है। कुछ दिन बाद से लक्षण गायब होकर फिर उभर जाते हैं। धीरे-धीरे यह बार-बार होने लगता है। और गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती है। एक पुरानी कहावत है कि “ट्यूमेटॉयड आर्थिराइटिस जोड़ों में रिसाव पैदा करता और दिल को काटता है।" बच्चों को अगर यह रोग हो गया है तो इसके इलाज में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
ओस्टियो आर्थिराइटिस (Osteo-arthiritis) जोड़ों की हड्डियों के बीच में स्थित उपास्थि (Cartilage) के ह्रास से उत्पन्न हुई छीजन और बाद में उसमें आई विकृति से होता है। जब कार्टिलेज घिसकर खत्म हो जाती है तो जोड़ों की हड्डियां आपस में रगड़ने लगती है। आम तौर से यह जोड़ों के सिरे और मेरुदंड (Spinal Column) यानी रीढ़ में होता है। मामूली या तेज दर्द बड़े जोड़ों में शुरू होता है, लेकिन बाद में यह कहीं भी हो सकता है, प्रभावित स्थान में सूजन भी हो जाती है। जोड़ों की हरकत बाधित हो जाती है और धीरे-धीरे विकृति उत्पन्न हो सकती है। छूने से प्रभावित स्थान लाल और गरम हो जाता है।
रोगी को अपना अधिकाधिक समय गरम और सुविधाजनक स्थान में बिताना चाहिए। प्रभावित भाग को गरम रखें। अधिक प्रकोप की दशा में चलने-फिरने से बचें। शराब, सिगरेट और लाल मांस खाने से बचें। पता करें कि किन चीजों के खाने से अलर्जी बढ़ती है, सूजन पैदा होती है। उन चीजों को अपने आहार से अलग कर दें। मिर्च-मसालेदार और वसायुक्त खाने से परहेज करें। दबाव तनाव को नियंत्रित करें क्योंकि टेंशन से मांसपेशियां सख्त पड़ जाती हैं।