आम फलोंका राजा है तो फलों की रानी बननेके सभी गुण नारंगीमें हैं, इसी कारण नारंगीको फलों की रानी कहा जाता है।◆आयुर्वेदके ग्रन्थों में नारंगी का उल्लेख मिलता है-
'नारङ्गो मधुराम्लः स्याद्रोचनो वातनाशनः' (निघंटु, मिश्रप्र०
६। ६३)। सुश्रुतसंहितामें लिखा है-
अम्लं समधुरं हृद्यं विशदं भक्तिरोचनम्। वातघ्नं दुर्जरं प्रोक्तं नारङ्गस्य फलं गुरु।।
अर्थात् नारंगी अम्ल, मधुर, हृदयके लिये प्रिय, विशद, भोजनमें रुचिकर, वातनाशक, दुर्जर तथा गुरुपाकी (देरमें पचनेवाला) होता है।
नारंगीकी विशेषता यह है कि इसमें विद्यमान फ्रक्टोज, डेक्स्ट्रोज, खनिज एवं विटामिन-ये शरीरमें पहुँचते ही ऊर्जा देना शुरू कर देते हैं। इसका रस देर से पचता है। नारंगी में प्रचुर मात्रामें विटामिन 'सी' है। पोटैशियम एवं लोहा उच्चमानका है। नारंगी-सेवनसे हृदय, स्नायु- संस्थान तथा मस्तिष्कमें नयी शक्ति आ जाती है। बच्चे- बूढ़े, रोगी और दुबले-पतले लोग अपनी निर्बलता दूर करनेके लिये इसके सेवनसे लाभ उठा सकते हैं। तेज बुखारमें इसके सेवनसे तापमान कम हो जाता है।
इसका साइट्रिक एसिड मूत्ररोगों और किडनी रोगोंको दूर करता है। इससे मूत्र साफ आता है। किडनी-रोगसे बचनेके लिये नारंगीका सेवन करना चाहिये। छोटे बच्चोंको स्वस्थ और सुपुष्ट बनानेके लिये दूधमें चौथाई भाग मीठी नारंगीका रस मिलाकर पिलाना चाहिये। यह उनके लिये एक आदर्श टॉनिक है। इससे
बच्चोंमें नयी ऊर्जा, नयी शक्ति और नया उत्साह आ जाता है। दाँत निकलते समय बच्चोंको उलटी होती है तथा हरे-पीले दस्त होते हैं। इनमें नारंगी-रस देनेसे उनकी बेचैनी दूर होती है तथा पाचनशक्ति बढ़ जाती है। दाँतों और मसूढ़ोंके रोग भी इसके सेवनसे दूर होते हैं।
◆ शरीर से दुर्बल, गर्भवती महिलाओं, कब्ज, बवासीर, बेरी-बेरी, अपच, पेटमें गैस, जोड़ोंका दर्द, गठिया, ब्लडप्रेशर, चर्मरोग, यकृत्-रोगसे ग्रस्त रोगियोंके लिये नारंगीका रस परम लाभकारी है। जिन्हें दूध नहीं पचता हैं या जो केवल दूध पर निर्भर हैं, उन्हें नारंगी का रस में अवश्य सेवन करना चाहिये। दूधमें विटामिन 'बी* कम्पलेक्स' नहीं के बराबर है। अतः इसकी पूर्ति नारंगी के सेवन से हो जाती है।
◆मुँहासे, कील और झाँई तथा चेहरेके साँवलेपनको - दूर करनेके लिये नारंगीके सुखाये छिलकोंका महीनचूर्ण गुलाब-जल या कच्चे दूधमें मिलाकर पीसकर आधा घंटातक लेप लगाये, इससे कुछ दिनोंमें चेहरा साफ, सुन्दर और कान्तिमान् हो जायगा। नारंगी सर्वरोगनाशक और शरीरके लिये परम को हितकारी फल है। खट्टी नारंगीका सेवन बच्चों-बूढ़ों, से गर्भवती महिलाओं, अम्लपित्त एवं पेटमें अल्सरवालों के लिये निषिद्ध है।
-सौजन्य आरोग्य अंक
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